ड्रामा, ड्रामा और बस ड्रामा


लगता है की भारत अब ड्रामो का देश बन कर रह गया है. यही कारण है की यहाँ प्रतिदिन किसी ना किसी रूप में ड्रामे होते है और समय के साथ ड्रामे का दी एंड भी हो जाता है. उसके बाद किसी को याद नहीं रहता की अभी कुछ समय पहले जो ड्रामा हुआ था उसमे क्या हुआ था और उसमे किस किरदार ने क्या भूमिका अदा की थी. बस याद रहता है तो यह की अब अगला ड्रामा कब और कहा होगा. कुछ इसी याद के साथ हम अगले दिन की शुरुआत करते है.
अब देखो ना अभी कुछ समय पहले एक इच्छाधारी बाबा को यह कहते हुए गिरफ्तार किया गया था की वह देह व्यापार का एक बहुत बड़ा रैकेट चलाता है. उसका नेटवर्क भारत सहित अनेको देशो में फैला है. अरबो रूपए की अवैध संपत्ति होने का भी हवाला दिया गया. और तो और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी
के साथ बाबा की फोटो दिखा कर खबरिया चैनलों ने भी खूब ब्रेकिंग न्यूज चलाई. साथ ही साथ पुलिस का वह ड्रामा भी शुरू हो गया जो अक्सर एक बड़े गिरोह के सरगना या उसके एक छोटे से गुर्गे को पकड़ने के बाद शुरू होता है. पुलिस ने कहा की जब इस रैकेट की कड़ियाँ खुलेगी तो बहुत कुछ सामने आएगा.
चलो मान ली पुलिस की बात की वह कड़ियाँ खोलेगी, मगर कब. जब जनता बाबा और पुलिस द्वारा खेले गए इस ड्रामे को भूल जाएगी. क्योंकि जनता भी तब तक ही एक ड्रामे को याद रखती है जब तक खबरिया चैनल ऐसे समाचारों को ब्रेकिंग न्यूज के रूप में प्रस्तुत करते है. उसके बाद तो कौन बाबा, नेता और कौन अधिकारी. क्योंकि इस देश की जनता को अगर कोई बेवकूफ बना सकता है तो वो ये ही तीन लोग है. क्या आज से पहले भारत की संस्कृति को कलंकित करने वाले ऐसे गुरु घंटाल पकडे नहीं गए या करोडो-अरबो की धन-दौलत सहित अपराधिक गतिविधियों में संलिप्ता के चलते गुरुओ के नाम सामने नहीं आये.
इस ड्रामे से थोडा पीछे लेकर चलू तो एक और ड्रामा हुआ था जिसमे हरियाणा पुलिस के पूर्व डीजीपी एस.पी.एस राठौड़ ने मुख्य कलाकार की भूमिका अदा की थी. राठौड़ का यह ड्रामा हरियाणा से सम्बंधित होने के बावजूद पूरे देश में जंगल की आग तरह फ़ैल गया था. इस मामले में भी प्रदेश के कई नेताओ पर अंगुली उठी थी. खबरिया चैनलों ने भी यह समाचार ब्रेकिंग न्यूज में खूब परोसा. रुचिका प्रकरण को लेकर प्रदेश सहित पूरे देश में खूब हंगामा हुआ लेकिन आज नतीजा वही ठाक के तीन पात वाला ही बना हुआ है. अब जनता भी भूल गई की कौन राठौड़ और कौन रुचिका.
हाल ही में अब हुआ एक और ड्रामा. जिसकी मुख्य भूमिका में थी उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती तो ड्रामे में विलेन की भूमिका में थे पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह. ड्रामे की कहानी और कहानियो से कुछ हट कर थी. इस कहानी और कलाकारों को अलग-अलग नाम दिए गए. किसी ने मायावती को मालावती कहा तो किसी ने ड्रामे को माया की माला का नाम दिया. जबकि इस माला की माया कोई नहीं समझ पा रहा था. मुलायम सिंह सहित पूरे विपक्ष को ठेंगा दिखाते हुए मायावती एक के बाद एक माला पहन गई और सभी मुहं ताकते रह गए. क्योंकि कोई चाहता ही नहीं की कुछ हो.
इसका कारण है की आज जो ड्रामा कोई और खेल रहा है कल उस ड्रामे को कोई और खेलेगा. इसलिए सभी एक बार ही बोलते है और कुछ समय बाद चुप्पी साध लेते है. ड्रामे में कलाइमेकस तब आता है जब पुलिस और जाँच कमेटी अपनी भूमिका अदा करती है. शुरूआती दौर में तो दोनों ही बड़े-बड़े दावे करते है लेकिन बाद में उन दावो का कोई अता-पता नहीं चलता. अब देखो ना इच्छाधारी बाबा के लिए सब्जबाग दिखाए गए थे की बहुत से सफेदपोश, अधिकारी और बड़े लोगो सहित देश-विदेश की नामी-गिरामी लडकिया इस गिरोह से जुडी हुई है. बहुत जल्द उनके नाम उजागर होंगे.
लेकिन आज कोई भी नाम उजागर होना तो बहुत दूर की बात है अक्सर ऐसे मामलो की जाँच ही आगे नहीं चलती. अब जहा इच्छाधारी बाबा जेल में ऐश कर रहा है वही पूर्व डीजीपी सहित अनेक अधिकारीयो सहित किसी भी सफेदपोश का भारत में कुछ नहीं बिगड़ा है. अब मायावती की माला को ही देख लो. कोई उसको 51 लाख की कह रहा है तो कोई 51 करोड़ की. तो कल पहनाई गई माला का प्रचार तो फूलो की माला के रूप में किया गया था. मना की पहली माला 51 करोड़ की नहीं 51 लाख की थी फिर भी 1000 के नोटों की 51 गद्दिया एक साथ कहा से आई. इस और किसी का ध्यान नहीं है.
जबकि अब इस मामले की जांच आयकर विभाग से करवाने का एक और ड्रामा चल रहा है. अगर इससे पहले किसी जांच का कोई समाधान निकला हो तो इस जांच में कुछ निकलेगा ना. और जब कुछ होना ही नहीं है तो फिर भारत में यह ड्रामे होते ही क्यों है. क्यों जनता को सब्जबाग दिखाए जाते है. क्या जनता को पागल समझा है.

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3 आपकी गुफ्तगू:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सूर्य गोयल जी!
वर्ड-वेरीफिकेशन हटा दीजिए ना प्लीज!

माया का माला पुराण बहुत बढ़िया रहा!

पूनम श्रीवास्तव said...

surya goyal ji oahale to mere blog par aane ke liye dhanyavad lijiye.rahi drame ki baat to bharat me to aaye din kisi na kisi drame ka pradarshan hota hi rahata hai hai,jaroorat hai to in dramon ka sachachi ke saath d end karane ka. vaise mai lagataar char dino se yahi soch rahi hun ki sakarjo gareeb bachcho ke naam par bade badeabhiyaan chalaane ki ghoshhnakarti hai chahe vo mid de meel ho ya scchool chalo abhiyan
ki ghoshhna karati haivo drama nahi to aur kya hai .rahi ikyaavan karore roopyao ki malaki baat
to kya kisi ne socha hai ki issase kitane annatho ki jindagiyan sanvar jaatiaur aage chal kar kitane hi desh ke achche naagarik bante.
sheshh shubh.

गुड्डोदादी said...

सूर्य बेटा
आशीर्वाद
आपकी वेब साईट गुफ्तगूं भिन्न है
पढ़ने में अच्छी लगी
धन्यवाद
चिकागो अमरीका से

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