मुबारक हो, आज नववर्ष है


आज सुबह से ही दोस्तों और परिचितों के एसएम्एस आने लगे थे. हर रोज की तरह कोई अच्छे दिन की बधाई दे रहा था तो कोई गुड मोर्निंग विश कर रहा था. कुछ मित्रो ने नवरात्रे की भी बधाई दी तो लगा की चलो किसी युवा को तो नवरात्र के बारे में ज्ञान है. घर में नवरात्र की पूजा होनी थी तो जल्दी उठाना था. मैं आज प्रतिदिन से लगभग एक घंटा जल्दी तैयार हो गया था. कार्यालय पहुँचते-पहुँचते 10 बज चुके थे और तब तक मेरे पास पांच से छः एसएम्एस आ चुके थे. जैसा की मैंने ऊपर बताया की हर प्रकार के एसएम्एस थे लेकिन यह देख बड़ा दुःख हुआ की किसी ने भी मुझे हर वर्ष की भांति नववर्ष की मुबारकबाद नहीं दी.
तभी मुझे याद आया की आज का युवा विक्रमी संवत को कैसे याद रख सकता है क्योंकि उसको तो डे मनाने की आदत जो लग गई है. आज वो बर्थ डे, क्रिसमस डे, न्यू ईयर, वेलनटाइन डे सहित मदर्स डे जैसे त्यौहार ही
मना सकता है. भले ही उसको इन डे के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं हो लेकिन वो विक्रमी संवत के बारे में कुछ भी जानना नहीं चाहता. यही कारण है की आज लोग विक्रमी संवत सहित अनेको भारतीय त्योहारों को भूलते जा रहे है. बावजूद इसके आज एक जनवरी को मनाये जाने वाले नववर्ष की धूम हर जगह देखी जा सकती है. युवा तो युवा बुजुर्ग तक 31 दिसंबर को नववर्ष के आगमन को बेताब दिखते है.
आज बहुत से लोगो ने नवरात्र की पूजा की होगी. मंदिर भी गए होंगे. फर्क मात्र इतना है की कुछ ने माँ शक्ति की पूजा आज इसलिए की होगी की यह विधि का विधान है तो कुछ युवा मंदिर इसलिए गए होंगे की नवरात्रों की मानता लडकिया कुछ ज्यादा करती है. लेकिन किसी ने भी आज विक्रमी संवत 2067 को सही तरीके से नहीं मनाया होगा. यही कारण है की जैसे-जैसे हम पाश्चात्य संस्कृति को अपनाते जा रहे है वैसे-वैसे हमारे त्योहारों के प्रति लोगो में अपवाद बढ़ता जा रहा है.

जो मुझे एस एमएस मिले उनमे से एक
लाल रंग से सजा है माँ का द्वार
हर्षित हुआ मन पुलकित हुआ संसार
नन्हे-नन्हे कदमो से आये माँ आपके द्वार
मुबारक हो आपको नवरात्र का त्यौहार

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नव विक्रमी संवत 2066 मुबारक
भारतीय संस्कृति से मने वेलनटाइन डे
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