पहले लिखी हुई बात दोहराना नहीं चाहता लेकिन इतना बताना चाहता हूँ की रविवार को सुबह जल्दी उठ गया. अजीब सी बेचैनी थी की आज वैलंटाइंस डे भी है रविवार भी. स्कूल-कालेज तो बंद होंगे तो पता नहीं आज अपने प्यार का इजहार करने वाले युवा कैसे मिलेंगे. पुलिस की क्या भूमिका होगी और इस दिन का विरोध करने वाले आखिर क्या कर रहे होंगे. ऐसा ही कुछ सोच कर घर से जल्दी निकल पड़ा और बाजार की चकरी काटने लगा. कुछ पार्को में भी गया और फूल की दुकानों पर भी मेरी नजर थी. कुछ इक्का-दुक्का लड़के-लडकिया फूल की दुकान से फूल खरीद रहे थे तो कुछ सज-धज कर
इधर से उधर जा रहे थे. देख कर समझ में आ रहा था की इन पर वैलंटाइंस डे का भूत सवार है. स्कूल-कालेजो में जाने पर पता लगा कुछ युवाओ ने कालेजो में भी मिलने का कार्यक्रम बनाया हुआ है. लेकिन रविवार होने के कारण पुलिसकर्मी आज राहत की सांस लेते नजर आये. चलो जो कुछ भी हो रहा था सब शांति से हो रहा था.
मैंने कल लिखा था की वैलंटाइंस डे पर ऐसा कुछ होना चाहिए जिससे कोई और भी हमारा अनुशरण करे या कहे की भारत में वैलंटाइंस डे ऐसे मनाया जाता है. लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया तो क्या यह मान लिया जाये की वाकई भारत अब विदेशी परम्पराओ की भी नक़ल करने लगा है. या हम अपनी परम्परा को भूल नकलची हो गए है. यह सब कुछ होने के बावजूद आज दिल को कुछ सुकून मिला. ऐसा लगा की हां अभी देश में देश और देश भक्तो को चाहने वाले बैठे है. सुबह हम कुछ पत्रकार साथी इधर-उधर घूम ही रहे थे की अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की और से फोन आया की उनके कुछ कार्यकर्ता एक चौक पर एकत्रित हो रहे है. सोचा की वैलंटाइंस डे का विरोध करने वाले अब कुछ हंगामा करेंगे. जब तक हम वहा पहुचते कुछ पुलिस कर्मी भी आ चुके थे. चौक पर कुछ देश भक्तो की तस्वीरों को लगाया गया था. मामला कुछ समझ में आया लेकिन अटपटा लग रहा था. कुछ कार्यकर्ताओ से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा की वो शहीदों के साथ वैलंटाइंस डे मनाएंगे. दिल के किसी कोने में अजब सी ख़ुशी हुई.
तभी पुलिस की एक गाडी चौक पर आकर रुकी और उसमे से शहर थाना प्रभारी नीचे उतारे. लगा की कुछ अनहोनी होने वाली है लेकिन जब कार्यकर्ताओ ने उनसे बातचीत की तो वो स्वयं आये और शहीदों की तस्वीरों पर फूल अर्पित किये. यह सब देख दिल ने कहा की हां मेरे देश में भी ऐसे किसी तरीके से वैलंटाइंस डे मनाया जा सकता है की कोई हमको नकलची ना कहे. वाकई हम इस दिन शहीदों को अपने श्रद्धासुमन अर्पित वैलंटाइंस डे पर उनके प्रति अपने प्यार का इजहार कर सकते है. भले ही यह आयोजन करने वाले अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के कार्यकर्ता हो लेकिन इन युवाओ को देख आज हर भारतवाशी को सबक लेने की जरुरत है. तभी देश में सही तरीके से वैलंटाइंस डे मनाया जा सकता है.
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वैलंटाइंस डे, प्यार, इजहार और देशभक्त
लेबल: युवा, वैलंटाइंस डे, सभी, सामाजिक गुफ्तगू
तड़का मार के
* महिलायें गायब
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.
* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...
* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.
* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.
* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.
* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...
* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.
* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.
* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
आओ अब थोडा हँस लें
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1 आपकी गुफ्तगू:
सादगी के साथ हम, शृंगार की बातें करें।
प्यार का दिन है सुहाना, प्यार की बातें करें।।
सोचने को उम्र सारी ही पड़ी है सामने,
जीत के माहौल में, क्यों हार की बातें करें।
प्यार का दिन है सुहाना, प्यार की बातें करें।।
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