मेरी आवाज अगर आज भी दबा दी गई, मेरी रूकती हुई सांसो की महक बोलेगी
तुम मेरे बोलते हुए होंठो को तो सी सकते हो, दिल की आवाज मगर दूर तक जाएँगी
ये पंक्तिया किसी कवि द्वारा रचयित नहीं है लेकिन मेरे दिल की उपज ये दो लाइन स्कूलों में पढने वाले बच्चो वो भाव मात्र है जो अभी पैन या पेन्सिल ही पकड़ पा रहे थे. लेकिन जैसे ही उन्हें रॉकेट लांचर, स्टेनगन, तोप और टैंक दिखे तो लगा की अगर इन बच्चो के हाथो में अगर ये सब दे दिए जाये तो भारत के दुश्मनों की
खैर नहीं. ऐसा लगा जैसे बच्चे यह कहना चाह रहे थे की अब मत छेड़ो जखम की दिल में दर्द बहुत है. लेकिन यह उनका दुर्भाग्य ही था की इतना सब कुछ उनके सामने होते हुए भी चलाना तो दूर वो इन्हें चलता हुआ भी नहीं देख सकते थे. मौका था सेना दिवस के उपलक्ष में हिसार में लगने वाली "सेना को जानिए" प्रदर्शनी का. इस प्रदर्शनी का आयोजन प्रति वर्ष सेना की डोट डिविजन द्वारा किया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य सेना द्वारा किये गए क्रियाकलापों की जानकारी देना और ग्रामीण युवाओ को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित करना है. दो दिवसीय यह प्रदर्शनी मंगलवार को ख़त्म तो हो गई लेकिन हर साल की तरह यह बच्चो और युवाओ में जोश व् उमंग भरने में जरुर कामयाब रही. प्रदर्शनी में भारतीय सेना के बेहतरीन, नवीनतम व अत्याधिक मारक क्षमता वाले टैंक जैसे टी-90, टी-72, बी.एम.पी.-2, सी.एम.टी., बी.एफ.एस.आर, विजयंता व बोर्फोस रखे गए थे। इनके साथ-साथ सेना के अन्य उपकरण जैसे जे यू -23 ए डी ए गन, सिलिका ए डी ए गन, 84 एम.एम. राकेट लोंचर, 81 एम.एम. र्मोटार व मोबाइल अस्पताल सहित अन्य दुर्लभ सयंत्र भी लगाए गए थे। कारगिल कि याद ताजा कराती बोर्फोस तोप को देख जहा बच्चों का जोश देखते ही बन रहा था। वही युवाओं में राकेट लांचर से निशाना साधने की होड़ लगी थी। इस दौरान यहा सम्पूर्ण सैन्य जीवन की झलक देखने को मिली वही बच्चों द्वारा अपने-अपने अदांज में पूछे गए सवाल माहौल को खुशनुमा बना रहे थे।
रोचक जानकारियाँखैर नहीं. ऐसा लगा जैसे बच्चे यह कहना चाह रहे थे की अब मत छेड़ो जखम की दिल में दर्द बहुत है. लेकिन यह उनका दुर्भाग्य ही था की इतना सब कुछ उनके सामने होते हुए भी चलाना तो दूर वो इन्हें चलता हुआ भी नहीं देख सकते थे. मौका था सेना दिवस के उपलक्ष में हिसार में लगने वाली "सेना को जानिए" प्रदर्शनी का. इस प्रदर्शनी का आयोजन प्रति वर्ष सेना की डोट डिविजन द्वारा किया जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य सेना द्वारा किये गए क्रियाकलापों की जानकारी देना और ग्रामीण युवाओ को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित करना है. दो दिवसीय यह प्रदर्शनी मंगलवार को ख़त्म तो हो गई लेकिन हर साल की तरह यह बच्चो और युवाओ में जोश व् उमंग भरने में जरुर कामयाब रही. प्रदर्शनी में भारतीय सेना के बेहतरीन, नवीनतम व अत्याधिक मारक क्षमता वाले टैंक जैसे टी-90, टी-72, बी.एम.पी.-2, सी.एम.टी., बी.एफ.एस.आर, विजयंता व बोर्फोस रखे गए थे। इनके साथ-साथ सेना के अन्य उपकरण जैसे जे यू -23 ए डी ए गन, सिलिका ए डी ए गन, 84 एम.एम. राकेट लोंचर, 81 एम.एम. र्मोटार व मोबाइल अस्पताल सहित अन्य दुर्लभ सयंत्र भी लगाए गए थे। कारगिल कि याद ताजा कराती बोर्फोस तोप को देख जहा बच्चों का जोश देखते ही बन रहा था। वही युवाओं में राकेट लांचर से निशाना साधने की होड़ लगी थी। इस दौरान यहा सम्पूर्ण सैन्य जीवन की झलक देखने को मिली वही बच्चों द्वारा अपने-अपने अदांज में पूछे गए सवाल माहौल को खुशनुमा बना रहे थे।
1. टी-90, टी-905, टी-90 एस.के.- रसिया में निर्मित इस टैंक को वैसे अभी तक किसी भी युद्ध में भाग लेने का मौका नहीं मिला है। लेकिन इस समय यह भारतीय बेड़े का एक बड़ा महत्त्वपूर्ण तोप है। एक मिनट में 34 गोले दागने की क्षमता वाले इस टैंक की देखभाल भारत में संभव है तथा 2500 कि.मी. के बाद इसकी मरम्मत जरूरी है। समय-समय पर कुलंट, इंजन आयल व ट्रांशमीशन आयल बदलना आवश्यक है तथा इसे अन्य टैंकों की अपेक्षा गैरेज में रखा जाता है। बैटरी को सुचारू रखने के लिए इसे सप्ताहांत में स्र्टाट करना आवश्यक है।
2. टी-72- टैंक भी रसिया से भारत में आया है। 41.5 टन वजन के इस टैंक की खासियत यह है कि यह टूटे-फूटे मार्ग पर भी प्रतिघंटा 48 कि.मी. की रफ्तार से दुश्मन की और कूच करता है। अगर सिर्फ रेत मिल जाए तो यह एक साधारण वाहन ;60 कि.मी. पी.एच.द्ध की रफ्तार से दौड़ता है। इस टैंक में टीसास नामक उपकरण लगा है। जिसके कारण अन्दर बैठा सैनिक रात में भी दिन जैसा देख दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब दे सकता है। यही कारण है कि इसका प्रतिदिन रखरखाव करना पड़ता है जो कि भारतीय सैनिक कर सकता है। 45 कि.मी. प्रति लीटर की अवरेज देने वाले इस टैंकों में एक साथ 1601 लि. डीजल डलता है तथा अब यह टैंक भारत में ही बन रहा है।
3. सिचलिका गन माऊंट- एक मिनट में 3400 गोलियां दागने वाली टैंक नुमा यह गन 19 टन वजन कि है। पूर्णत्या रसिया में बनी यह टैंक अपने चारों और शिकार करता हुआ दुश्मन को चित करता है। इसे 1983 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था तथा यह सड़क मार्ग पर प्रतिघंटा 30 कि. मी. की रफ्तार से दौड़ने की क्षमता रखता है। इसमें मुख्यतः तेल, पानी व ग्रीस प्रतिदिन चैक करना पड़ता है।
4. अपने अनेक फिल्मों में देखा होगा कि सैनिक कंधे पर एक गोल पाईप सा उठाए होता है तथा दूसरा सैनिक उसमें गोला डालता है तथा दूर जाकर वह गोला उस क्षेत्र को तहस नहस कर देता है। जी हाँ हम बात कर रहे है राकेट लांचर की। वह राकेट लांचर जो आजकल प्रतिदिन जम्मू कश्मीर के प्रत्येक सैक्टर में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है। 84 एम.एम. यह राकेट लांचर स्वीडन में बना है तथा 1 मिनट में 6 गोले दाग सकता है। रखरखाव के मामले में यह सब से किफायती है। साल में सिर्फ एक बार ग्रीस करने के साथ-साथ यह 4 प्रकार से दुश्मन पर हमला करने में सक्षम है। 1 कि.मी. दूरी पर मार करते हुए यह 10 मीटर क्षेत्र में काफिले व वाहन को यह बर्बाद कर देता है वही 500 मीटर दूर स्थित टैंक को तबाह करने की क्षमता रखता है। इसका वजन 16.1 किग्रा. है।
5. मोबाईल अस्पताल-सम्पूर्ण सुविधाओं से लैस इस अस्पताल में वह सारी खुबिया है जो देश के प्रतिष्ठित अस्पतालों में होती है। यह मोबाइल अस्पताल सेना की टुकड़ी से 1 से 3 कि.मी. पीछे चलता है तथा हर विपत्ति में सेना के जवानों का भरपूर साथ देता है। एक अस्पताल में एक समय में 15-20 सैनिकों का इलाज संभव है।
Related Articles :
1 आपकी गुफ्तगू:
लोहिड़ी पर्व और मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ!!
Post a Comment