बीमारियों को आमंत्रण देती सैक्स दवाये


सैक्स: यह शब्द सुनते ही युवा हो या बुजुर्ग, एकबारगी तो सबके कान खड़े हो ही जाते हैं। मुद्दा यह नहीं कि ऐसा क्यों होता है, जबकि यह बात अवश्य विचारणीय है कि आज सैक्स के लिए लोग क्या नहीं कर गुजरना चाहते। और अगर ऊपर से सर्दी का मौसम हो तो सुभानअल्लाह। यही कारण है कि आजकल हर समाचार-पत्र में सैक्स से सम्बन्धित विज्ञापनों की भरमार है। इन विज्ञापनों में कोई कम्पनी पावर को बढ़ाने का दावा करती है तो कोई सैक्स की सभी बीमारियों
को दूर करने का दम भरती है। मंशा सभी की एक ही है कि अपनी जेब गर्म होनी चाहिए। अर्थात् पहले ऐसी दवा लेकर बीमारी को गले लगाओ, फिर ऐसी ही कोई दवा लेकर उस बीमारी को दूर करने की चिन्ता करो।
क्या वाकई ऐसी दवाओं का सेवन करने वाले या सेवन करने का मन बना चुके युवा व बुजुर्गों में सैक्स पावर की कमी है। इस बात का जवाब तो शायद वह खुद ही नहीं दे सकते। तो फिर वे क्या सोच कर इसका सेवन कर रहे हैं। ऐसी दवा लेने से ज्यादा जरूरत है इस विषय पर गम्भीरता से विचार करने की। अगर यदि युवा सैक्स एजुकेशन प्राप्त करे तो भी सैक्स का ज्यादा आनन्द ले सकते हैं, लेकिन शायद ऐसा नहीं है इसलिए ऐसे विज्ञापनों में जहां ये दवा कम्पनी चांदी कूट रही है, वहीं दुकानदार भी इसका भरपूर लाभ उठा रहे हैं और उठाएं भी क्यों नहीं, क्योंकि ढाई अक्सर से बने इस शब्द के लिए युवा या बुजुर्ग सभी सलाह लेने से हिचकिचाते हैं। इसे दुर्भाग्य ही माना जाए कि भारत में युवा अपने युवा साथी से तो बुजुर्ग अन्य बुजुर्ग से इस विषय पर चर्चा करता नजर आएगा। यहां ये नहीं कहा जा रहा कि लोग चिकित्सक से परामर्श नहीं करते, लेकिन कब करते हैं, यदि आप इस पर गौर करेंगे तो आपको अपने सभी सवालों का जवाब मिल जाएगा। इस दौड़ में महिलाएं भी पुरुषों से पीछे नहीं हैं। सैक्स व सौंदर्य  सम्बन्धित कुछ बातों में तो महिलाएं पुरुषों के समकक्ष खड़ी नजर आती हैं, वहीं कुछ बातों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है। यही कारण है कि आज सड़क किनारे तंबू लगाकर या फिर चैराहे पर खेल दिखाने के बहाने लोग सैक्स पावर बढ़ाने से लेकर सभी बीमारियां दूर करने की दवाएं बेचते आम देखे जा सकते हैं।
सर्दियाँ शुरू होते ही सभी समाचार-पत्रों में ऐसे विज्ञापनों की भरमार नजर आरती है, वहीं मैडिकल स्टोर भी इन दवाओं से भरे नजर आते हैं। चिकित्सकों की मानें तो सर्दी के मौसम में एकाएक ऐसी दवाओं की बिक्री दोगुनी हो जाती हैं। दूसरी तरफ जैसे-जैसे सर्दी बढ़ेगी इन दवाओं की बिक्री भी बढ़ेगी। खास बात तो यह कि बिना किसी प्रमुख कम्पनी या ब्रांड के बिकने वाली यह दवाएं बाजार में महिलाओं व पुरुषों दोनों के लिए उपलब्ध हैं। दवा निर्माताओं की आपसी होड़ के चले व आकर्षक विज्ञापनों के कारण सभी इन दवाओं की तरफ खींचे चले आते हैं। इसे भेड़चाल ही कहा जाए कि आज बाजार में ऐसी दवाओं की बाढ़ सी आ गई है।
बाजार में बिकने वाली इन दवाओं में कैप्सूल, टैबलेट, तेल व पीने की दवाई मुख्यतः हैं। तो महिलाओं के लिए सौंदर्य प्रसाधनों में क्रीम, जैल व बाडी लोशन भी बाजार में उपलब्ध हैं। इन दवाओं को मुख्य पहलू यह है कि अगर यह दवाईयां बिना डाक्टर की सलाह-मशविरे के खरीदी जाए तो दवा विक्रेता मनमाफिक दाम वसूल करता है तो वहीं ऐसी दवाई शरीर के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। डाक्टर की सलाह मानें तो हृदय रोगी व ब्लड प्रैशर के रोगी को ऐसी दवाओं से दूर रहना चाहिए, क्योंकि बिना चिकित्सक की सलाह के ये दवाएं हार्ट अटैक को खुला आमंत्रण हैं।

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