चुनाव, इज्जत और दावेदारी-फ़िर भी जनता सब पर भारी


हिसार जिले की सात विधानसभा सीटो पर चुनाव लड़ रहे सभी प्रत्याशी अब अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे है। वैसे तो रविवार को एक महीने से चल रहा चुनाव प्रचार का शोर-शराबा थम सा गया है लेकिन अब प्रत्याशी जनता से संपर्क कर अपने-अपने दावे कर रहे है। उल्लेखनीय है की हरियाणा विधानसभा के लिए 13 अक्तूबर को चुनाव होने है। रविवार को चुनाव प्रचार थमने से पूर्व सभी प्रत्याशियों ने जीत के लिए अपनी ताकत झोंक दी। किसी ने रैली कर अपनी ताकत दिखाई तो किसी ने रोड शो कर। किसी ने जनसभा कर वोट देने की अपील की तो किसी ने घर-घर जाकर अपने व् अपने प्रत्याशी के लिए वोट मांगे। कुल मिला कर रविवार का दिन सभी पार्टीयो व् उम्मीदवारों के लिए अहम् रहा। कोई किसी तरह की कोर-कसर बाकि नही रखना चाहता था। यही कारण था की जहा पंजाबी समुदाय के पंचायती प्रत्याशी गौतम सरदाना ने एक विशाल रैली कर अपनी ताकत दिखानी चाही वही कांग्रेस सांसद और हिसार विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी सावित्री जिंदल के पुत्र नवीन जिंदल ने छोटी-छोटी जनसभाए कर अपनी माता को वोट देने की अपील की। इन सब से परे ज्येष्ठ जिंदल पुत्र पृथ्वी राज ने नगर के व्यापारियों और प्रतिष्ठित लोगो को पत्र के माध्यम से कांग्रेस और अपनी माँ को जिताने की अपील की। इसी कड़ी में हरियाणा जनहित कांग्रेस सुप्रीमो कुलदीप बिश्नोई ने भी रोड शो कर हजंका को वोट देने की अपील की। यह तो 22 अक्तूबर को ढोल की पोल खुलने पर ही पता चलेगा की कौन कितने पानी में है लेकिन इतना जरुर है की यह चुनाव हिसार के लिए अहम् होंगे। इन चुनावो में कांग्रेस, भाजपा व् हजंका सहित कई बड़े नेताओ की इज्जत दांव पर लगी है। अगर जनता से थोडी सी भी चुक हो गई तो जहा हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल का राजनैतिक भविष्य दांव पर लग सकता है वही वरिष्ठ कांग्रेसी नेता व् पूर्व सांसद जयप्रकाश का राजनितिक जीवन अंधकारमय हो सकता है। तो इनलो छोड़ कर कांग्रेस का दामन थामने वाले पूर्व वित्त मंत्री संपत सिंह भी अपने को राजनैतिक मैदान में खड़ा रखने में असमर्थ होंगे। वही भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए भाजपा विधायक रामकुमार गौतम का राजनितिक अस्तित्व भी खतरे में है।
इन सब में एक चेहरा भाजपा का भी है। वैसे तो हरियाणा में पाँव जमाने के लिए भाजपा शुरू से ही मशक्कत करती रही है लेकिन अब तक उसको कुछ चंद सीटो से ही गुजरा करना पड़ा है। वही हिसार की नारनौंद सीट पिछले चुनावो में भाजपा के पाले में गई थी जिसे भाजपा गवाना नही चाहती। यही कारण है की भाजपा ने यहाँ से वरिष्ठ नेता कैप्टन अभिमन्यु को मैदान में उतरा है। अगर इस सीट पर गलती से भी कोई गलती हो गई तो या तो कैप्टन अभिमन्यु या फ़िर कांग्रेस उम्मीदवार रामकुमार गौतम को राजनीति से संन्यास लेना पड़ सकता है। जबकि इनलो भी बरवाला व् उकलाना से अच्छी स्थिति में दिखाई दे रही है। अगर यहाँ भी भाग्य ने इनलो का साथ नही दिया तो दोनों इनलो प्रत्याशी सरोज मोर और शीला भ्यान जो की आज पार्टी के उच्चस्थ पद पर बैठी है को हार का मुहं देखना पड़ सकता है। रही बात हजंका की तो उसने बिना कोई गलती करे हिसार की सात सीटो में से तीन को हथियाने का काम किया है। आदमपुर से पार्टी सुप्रीमो कुलदीप बिश्नोई को, नलवा से माता जसमां देवी को तो हांसी से पार्टी के वरिष्ठ नेता विनोद भयाना को चुनाव मैदान में उतरा है। यहाँ थोडी सी चुक होते ही जहा सीधा असर पार्टी पर पड़ेगा वही दिग्गज भी किसी को मुहं दिखाने लायक नही रहेंगे। फ़िर भले ही ये नेता अपनी जीत को लेकर कुछ भी दावे करते रहे, जनता को कुछ भी सब्जबाग दिखा ले लेकिन यह तो जनता को ही देखना है की वो किस की इज्जत उतारती है और किस पर मेहरबान होती है।

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1 आपकी गुफ्तगू:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

लोकतन्त्र में तो जनता ही सर्वोपरि होती है
और होनी भी चाहिए!

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तड़का मार के

* महिलायें गायब
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.

* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...

* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.

* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.

* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
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