मात्र दो महीने में ही हम जानवर हो गए


कांग्रेस लोकसभा चुनाव में दिए अपने नारे कांग्रेस का हाथ-आम आदमी के साथ को अभी किसी भी तरीके चरितार्थ तो नही कर पाई लेकिन लोकसभा चुनाव के मात्र दो महीने पश्चात् ही उसके मंत्री इन आम आदमी को अगर भेड़-बकरी समझने लगे तो इसे क्या कहा जाए। मंत्री साहब पर राजनीति का रंग चढ़ गया या मंत्री की कुर्सी मिलते ही जुबान बदल गई। राजनीति के जो सफ़ेदपोश कल तक गली-गली जाकर अपने दोनों हाथ जोड़ कर इन्ही आम आदमी से वोट देने की विनती कर रहे थे वो ही लोग आज उनके लिए भेड़-बकरी बन गए। देश में एकाएक बढ़ी महंगाई से आम आदमी का ध्यान हटाने के लिए जहा कांग्रेस के बड़े नेता स्वयं इकोनोमी क्लास में सफर कर रहे है वही देश के विदेश राज्यमंत्री शशि थरूर ने इकोनोमी क्लास को कैटल क्लास की संज्ञा देकर राजनीति मायनो में एक नए विवाद को जनम दे दिया है। कांग्रेस सहित देश की अन्य राजनितिक पार्टियों को भले ही थरूर की इस टिप्पणी से अपनी-अपनी राजनीति करने का मुद्दा मिल गया हो लेकिन आज कांग्रेस भी इन मंत्री मोहदय से यह पूछने से कतरा रही है की उन्होंने क्यो और कैसे इकोनोमी क्लास को कैटल क्लास बोल दिया। जबकि अभी हरियाणा सहित 3 राज्यों में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है। चलो जी मंत्री जी की इस टिप्पणी से कांग्रेस ने तो अपना पल्ला झाड़ लिया लेकिन देखना यह है की अब आमआदमी उनकी इस टिप्पणी को किस लहजे में लेता है लेकिन इतना जरुर है की हम इन नेताओ के लिए मात्र दो महीने में ही जानवर हो गए।

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1 आपकी गुफ्तगू:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

देश का दुर्भाग्य है कि
मेरा जनतन्त्र मजाक बन कर रह गया है।

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तड़का मार के

* महिलायें गायब
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.

* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...

* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.

* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.

* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
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