हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव सर पर खड़े है लेकिन जनता अभी भी इस गड़बड़ झाले में फंसी है की प्रदेश में कौन सी पार्टी किस का दामन पकडेगी और कौन सा नेता चुनाव में खड़ा होगा। नेताओ और राजनैतिक पार्टियों की यह आँख मिचौली जनता के लिए ही नही उन नेताओ के लिए भी सिरदर्द बनी हुई है जिन्हें चुनावो के समय जनता के बीच जाना है। यही कारण है की कुछ नेताओ को छोड़ प्रदेश स्तर पर कोई भी नेता कुछ भी बोलने से बच रहा है। कारण साफ़ है की किसी को पता ही नही की यह विधानसभा चुनाव प्रदेश की राजनीति में क्या क्या गुल खिलायेगा। मेरी इस गुफ्तगू में गुल खिलने का मतलब यह है की जहा कांग्रेस अभी नेताओ की छटनी में व्यस्त है वही उसे पार्टी टिकट मांगने वालो की लम्बी फेहरिस्त से भी निपटना होगा। उधर इनलो ने अभी जो 42 उम्मीदवारों की घोषणा की है उससे भी पार्टी में कोहराम मचा हुआ है। प्रदेश की अनुशासित पार्टी कहलाने वाली इनलो में इन दिनों बगावत के सुर सुनने को मिलने लगे है। जबकि हरियाणा जनहित कांग्रेस की स्थिति उससे भी ख़राब है। एक और जहा पार्टी नेता अपने सुप्रीमो कुलदीप बिश्नोई को चमचो से घिरा बता रहे है वही भाजपा के साथ गठबंधन नही होने से भी पार्टी नेता व् कार्यकर्ता उहा-पोह की स्थिति में है।
अगर अब भाजपा नेताओ की बात करे तो वो कुछ बोलने की स्थिति में ही नही है। पहले इनलो से गठबंधन तोड़ने और अब तक हजंका से गठबंधन नही हो पाने के कारण भाजपा नेता अपने मुंह को सिले हुए है। विधानसभा चुनाव में जहा मात्र 35 दिन शेष रह गए है वही अभी तक कोई गठबंधन नही हो पाने के कारण भाजपा नेता जनता के बीच जाने से हिचक रहे है। उल्लेखनीय है की हरियाणा में राजनीति करने के लिए भाजपा को हमेशा बैशाखियो की जरुरत रही है वही उसके नेताओ को यह पता ही नही है की विधानसभा चुनाव के लिए किसी पार्टी से गठबंधन होगा की नही। वैसे तो हजंका से नाता टूटने के बाद बसपा भी प्रदेश की सभी 90 सीटो पर अपने प्रत्याशी खड़े करने का दम भर रही है लेकिन प्रदेश में उसकी स्थिति बहुत अच्छी नही है। मजेदार बात तो यह है की सिर्फ़ हिसार की 7 विधानसभा सीटो के लिए जहा 100 कांग्रेसी नेताओ ने आवेदन किए है वही जनता भी इस खेल (कांग्रेस के असली नेता होने का दम भरने वाले नेता) को देखने के लिए बेसब्री से इन्तजार कर रही है। वही भाजपा-हजंका गठबंधन, इनलो में उठ रहे उबाल और बसपा को प्रत्याशी तक नही मिलने के कारण हो रहे गड़बड़ झाले से जनता का भरोसा राजनीति और नेताओ से उठता जा रहा है।
और ख़त्म हो गया ड्रामा
मैंने यह पोस्ट लगभग 3 बजे के आसपास यह सोच कर लिखी थी की प्रदेश की राजनैतिक पार्टियों में प्रदेश की राजनीति करने के लिए जो गड़बड़ झाला चल रहा है उस पर में आपसे कुछ गुफ्तगू कर सकूँ, लेकिन शाम होते-होते समाचार आया की हरियाणा में अपनी-अपनी राजनीति चमकाने के लिए हरियाणा जनहित कांग्रेस और भाजपा को जिन बैशाखियो की जरुरत थी वो मैं के कारण अब एक-दुसरे पर ही तन गई है। भाजपा जहा प्रदेश में अपनी स्थिति मजबूत मान कर अहम् में है वही हजंका सुप्रीमो स्वयम को मुख्यमंत्री घोषित करने के कारण मैं के आगोश में है।
गुफ्तगू के प्रिय पाठको मैंने एक स्टोरी लिखी थी की आख़िर कौन लेगा ख़बर देने वालो की ख़बर। मैंने आपसे वादा किया था की मेरी यह गुफ्तगू अभी ख़त्म नही हुई है। ऐसा नही है की मैं मेरे वादे को भूल गया हूँ। कुछ तथ्य मेरे पास आ चुके है और कुछ आने अभी बाकी है। उनके आते ही मैं फिर गुफ्तगू करूँगा की किस तरह ख़बर देने वाले अपने मंसूबो को अंजाम दे जाते है और हम चुपचाप तमाशा देखते रहते है.
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अगर अब भाजपा नेताओ की बात करे तो वो कुछ बोलने की स्थिति में ही नही है। पहले इनलो से गठबंधन तोड़ने और अब तक हजंका से गठबंधन नही हो पाने के कारण भाजपा नेता अपने मुंह को सिले हुए है। विधानसभा चुनाव में जहा मात्र 35 दिन शेष रह गए है वही अभी तक कोई गठबंधन नही हो पाने के कारण भाजपा नेता जनता के बीच जाने से हिचक रहे है। उल्लेखनीय है की हरियाणा में राजनीति करने के लिए भाजपा को हमेशा बैशाखियो की जरुरत रही है वही उसके नेताओ को यह पता ही नही है की विधानसभा चुनाव के लिए किसी पार्टी से गठबंधन होगा की नही। वैसे तो हजंका से नाता टूटने के बाद बसपा भी प्रदेश की सभी 90 सीटो पर अपने प्रत्याशी खड़े करने का दम भर रही है लेकिन प्रदेश में उसकी स्थिति बहुत अच्छी नही है। मजेदार बात तो यह है की सिर्फ़ हिसार की 7 विधानसभा सीटो के लिए जहा 100 कांग्रेसी नेताओ ने आवेदन किए है वही जनता भी इस खेल (कांग्रेस के असली नेता होने का दम भरने वाले नेता) को देखने के लिए बेसब्री से इन्तजार कर रही है। वही भाजपा-हजंका गठबंधन, इनलो में उठ रहे उबाल और बसपा को प्रत्याशी तक नही मिलने के कारण हो रहे गड़बड़ झाले से जनता का भरोसा राजनीति और नेताओ से उठता जा रहा है।
और ख़त्म हो गया ड्रामा
मैंने यह पोस्ट लगभग 3 बजे के आसपास यह सोच कर लिखी थी की प्रदेश की राजनैतिक पार्टियों में प्रदेश की राजनीति करने के लिए जो गड़बड़ झाला चल रहा है उस पर में आपसे कुछ गुफ्तगू कर सकूँ, लेकिन शाम होते-होते समाचार आया की हरियाणा में अपनी-अपनी राजनीति चमकाने के लिए हरियाणा जनहित कांग्रेस और भाजपा को जिन बैशाखियो की जरुरत थी वो मैं के कारण अब एक-दुसरे पर ही तन गई है। भाजपा जहा प्रदेश में अपनी स्थिति मजबूत मान कर अहम् में है वही हजंका सुप्रीमो स्वयम को मुख्यमंत्री घोषित करने के कारण मैं के आगोश में है।
गुफ्तगू के प्रिय पाठको मैंने एक स्टोरी लिखी थी की आख़िर कौन लेगा ख़बर देने वालो की ख़बर। मैंने आपसे वादा किया था की मेरी यह गुफ्तगू अभी ख़त्म नही हुई है। ऐसा नही है की मैं मेरे वादे को भूल गया हूँ। कुछ तथ्य मेरे पास आ चुके है और कुछ आने अभी बाकी है। उनके आते ही मैं फिर गुफ्तगू करूँगा की किस तरह ख़बर देने वाले अपने मंसूबो को अंजाम दे जाते है और हम चुपचाप तमाशा देखते रहते है.
2 आपकी गुफ्तगू:
गड़बड़ का होते ? हम ही करते हैं , हमही भुगतते हैं ...हमही तमाशा बनते हैं , और तमाशाई भी ..
भारत में चुनाव का मतलब गड़बड़झाला ही तो है।
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