लखटकिया कार नैनो आई या .....


आज हिसार में एक अलग ही तरह की चहल-पहल थीमेरे साथी संगी सहित आम आदमी भी उधेड़ बुन में लगा हुआ नज़र रहा थामुझेभी काफी मशक्कत के बाद पता लगा की आज हिसार के टाटा शोरूम मेंलखटकिया नैनो कार गई हैसुन कर दिल को शुकून मिला की भारत आज उस मुकाम पर है की अमरीका भी आज यह सोच रहा है की आख़िर भारत ने इतनी कीमत में 4 सवारी की कार कैसे बना लीइस बात के लिए वाकई रत्तन टाटा बधाई के पात्र है
लेकिन मैं अब एक अनोखी मुश्किल में फंस गया हूँसोच रहा हूँ की नैनो तो बाज़ार में गई लेकिन जब वह बेचारी सड़क पर आएगी तो उसके दिल पर क्या बीतेगीभारत में हुए अपने जन्म से खुश जब वह हिसार सहित हरियाणा की सड़को पर आएगी तो वह किस किस को दोष देंगीक्या वह अपने निर्माता को यह कह कर दोष देंगी की पहले सड़को का निर्माण करवाते फिर उसका, या नैनो अपने मालिक को कोसेगी की जिस सड़क पर आदमी चलने की जगह नही है वहा वह कैसे चलेगी
मजेदार बात तो यह है की इसी लखटकिया में बैठ कर जब गाड़ी का मालिक किसी जाम में होगा तो वह इसी बात पर लाल-पिला हो रहा होगा की सड़क पर चलने की जगह नही है और आज आदमी गाडिया ले रहे हैलेकिन मैं इस बात पर क्या कहू की सिर्फ़ 1 लाख की कार दे कर क्या ट्रफिक कम हो जाएगातो क्या हम यह मान ले की यह लखटकिया कार मध्यम वर्गीय लोगो के सपने बेचने का षड़यंत्र मात्र हैक्योकि इससे जहा आम आदमी का खर्च बढेगा वही हो सकता है की उसे कर्जदार भी बना देप्रदुषण और इर्धन का बोझ जनता पर पड़ेगा वह अलग से

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