इतने अन्ना कहाँ से आयेंगे


एक अन्ना, एक सरकार और एक ही कानून को बनाने की कवायद. 12 दिन के अनशन व् एक लम्बी जद्दोजहद के पश्चात् बात कुछ आगे बढ़ी और विपक्ष सहित सरकार जन लोकपाल बिल पर बहस हो तैयार हो गई. विपक्ष हो या भले ही सरकार या यूँ कहे की सम्पूर्ण राजनितिक दलों के इसी घाल-मेल का हम जश्न तो मना चुके है लेकिन कामयाब कब होंगे यह अभी तक किसी को पता नहीं है. लेकिन जनता की एकजुटता ने यह अवश्य दिखा दिया की किस कदर भ्रष्टाचार रूपी दानव से वो परेशान है. जनता का परेशान होना भी लाजमी है और भ्रष्टाचार विरोधी हवन में आहुति डालना भी जरुरी है. लेकिन क्या देश में सिर्फ भ्रष्टाचार ही एक ऐसी बिमारी है जो हमको खोखला किये जा रही है.
अगर आप भी ऐसा सोच रहे है तो आप गलत है. भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे जी ने आवाज क्या उठाई सभी को भ्रष्टाचार दिखाई देने लगा. मानो इस से पहले किसी को पता ही नहीं था की आखिर यह भ्रष्टाचार भला किस बला का नाम है. जैसे-जैसे अन्ना जी का कारवाँ आगे बढ़ा वैसे-वैसे हम अपनी अन्य परेशानियों को भूलते चले गए. हम भूल गए की जिस तरह हमको भ्रष्टाचार से दो-चार होना पड़ता है उसी तरह हमारे जीवन की रोजमर्रा की ऐसी बहुत सी चीजें है जिनसे हमको जूझना पड़ता है. फर्क मात्र इतना है की हम उन चीजों के लिए आपस में गुफ्तगू तो करते है लेकिन भ्रष्टाचार को लेकर हुए आन्दोलन के बाद अब इन्तजार कर रहे है की कौन इन चीजों के लिए हमारे लिए आवाज उठाएगा. 
अगर अपनी परेशानियों को लेकर रोज होने वाली उन गुफ्तगू का मैं यहाँ कुछ जिक्र करूँ तो सबसे पहले बात आती है महंगाई की. इसके साथ-साथ लुप्त होती भारतीय संस्कृति, सुरक्षा व्यवस्था, कानून व्यवस्था, ट्रैफिक व्यवस्था, आज की युवा पीढ़ी व् बदन दिखाती युवतियाँ भी शामिल है. ये सभी वो समस्याएं है जिनको हमें भ्रष्टाचार की तरह कभी-कभी नहीं अपितु प्रतिदिन झेलना पड़ता है. लेकिन मजे की बात यह है की इन सभी के खिलाफ हमने आज तक कुछ नहीं किया और ना ही कर सकते है. तो इसका मतलब अगर हम जन लोकपाल बिल के बारे में भी ऐसा सोच लेते तो क्या सरकार संसद में बहस को तैयार हो पाती. अगर आप ऐसा सोच रहे है तो फिर यही कहूँगा की आप गलत है. 
अब समझा मैं की आप अब तक चुप क्यों है. क्योंकि आप यहीं सोच रहे है अब फिर कोई अन्ना बन कर आपकी जिंदगी में आये और आपकी इन समस्याओं के लिए लड़े. एक आन्दोलन खड़ा हो और आप गर्व से कह सके की अन्ना तुम आगे बढ़ो हम तुम्हारे साथ है. जैसे आपने तो ठान लिया है की कभी खुद कुछ नहीं करना. छी, शर्म आती है मुझे आपकी यह सोच देख कर. फिर क्यों एक खद्दर की टोपी पहन कर जिस पर लिखा था की मैं अन्ना हूँ कुछ दिन पहले तक आप अपने को अन्ना बता रहे थे. अगर आपकी हर समस्या के समाधान के लिए आपको अन्ना चाहिए तो इतना ही कहूँगा की इतने अन्ना कहा से आयेंगे. अब उठो, जागो और आगे बढ़ो जिससे आपको भी अन्ना हजारे की तरह एक भारतीय कहलाने में गर्व महसूस हो.

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