युवाओ के सिर चढ़ कर बोलने लगा क्रिसमस का जादू


गुफ्तगू के सभी पाठको को क्रिसमस कि हर्दिक शुभकामनाये. कभी-कभी यह सुनकर बहुत अच्छा लगता है कि मेरा भारत देश अपने भीतर अनेक संस्कृतियों को समेटे हुए है. इसीलिए हमको समय-समय पर भारत में मनाये जाने वाले विभिन्न त्योहारों का आंनंद उठाने का अवसर भी मिलता है. हम यहाँ जितनी ख़ुशी से होली व् दीवाली को मनाते है उतनी ही ख़ुशी हर भारतवासी को ईद व् क्रिसमस मनाने में भी होती है. यही कारण है कि प्रत्येक हिन्दुस्तानी देश में मनाये जाने वाले हर त्यौहार में बराबर का हिस्सेदार बनता है. लेकिन पता नहीं क्यों फिर भी मेरा दिल कहता है कि कही ना कही हमारे त्योहारों में ही कमी है की आज देश का युवा होली व् दीवाली को कम
और अन्य त्योहारों को बड़े चाव से मनाने लगा है. ईद और क्रिसमस भारत की संस्कृति से जरुर जुड़े है लेकिन ये भारतीय त्योहारों का हिस्सा नहीं है. बावजूद इसके आज क्रिसमस को मनाने के लिए प्रति वर्ष भारतीयों की संख्या बढती जा रही है. एक बारगी तो ऐसा लगता है की आज हिन्दुस्तानी अपने त्योहारों के प्रति उदासीन है लेकिन अगले ही पल ऐसा लगता है की जैसे पश्चिमी देश भारतीय त्योहारों की कमीयों का फायेदा उठाने से नहीं चुक रहे. यही कारण है की युवा तो युवा देश का प्रबुद्ध व्यक्ति भी क्रिसमस सहित अन्य पश्चिमी त्योहारों की ओर आकर्षित होने लगा है. ऐसा नहीं है की मैं हिन्दुस्तानी होते हुए क्रिसमस पर चर्च नहीं जाता. हर बार की तरह अबकी बार भी मैं क्रिसमस के अवसर चर्च गया था लेकिन यह देख मैं स्तब्ध था की पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष भी क्रिसमस मनाने वालो की संख्या कही अधिक थी. ऐसा नहीं है की यह मेरे लिए कोई दुखद सन्देश था लेकिन मेरे लिए विचारनीय था तो यह की युवाओ की संख्या प्रतिवर्ष अधिक क्यों हो रही है. क्या देश का युवा पाश्चात्य संस्कृति की और खींचा चला जा रहा है या भारतीय त्योहारों में पाई जाने वाली असमानता से वो ऊब चुका है. पशोपेश की स्थिति मैं जब मैंने मेरे सवालों के जवाब चर्च के पादरी से जानने चाहे तो वो सिर्फ इतना ही बता पाए की कुछ समय पूर्व पंजाब निवासी एक पंजाबी परिवार में चोरी हो गई. वो अपनी फ़रियाद लेकर चर्च गया और भगवान् इसु से प्रार्थना की और चोरी की बात उनके समक्ष रखी. कुछ दिनों बाद ही सरदार परिवार के यहाँ से चोरी हुआ सामान बरामद हो गया. पादरी ने बताया की इसके बाद वो परिवार इसाई धर्म को मानने लगा. पादरी की यह बात तो मेरी समझ में आती है लेकिन मैं यह नहीं समझ पाया की माल बरामद होने से भगवान् के प्रति आस्था बढ़ी या भगवान् इसु के प्रति. जबकि कहते है की भगवान् एक है. जबकि इसका एक तर्क यह भी है की जहा होली के त्यौहार पर देश में अपराधी किस्म के लोग अपनी गतिविधियों को अंजाम देने लगे है वही दीवाली जैसे त्यौहार आतंकियों के निशानों पर होते है. इसके अतिरिक्त अनेक ऐसे त्यौहार है जो अपने आप में असमंताए समेटे हुए है. हम अपने त्यौहार कभी किसी भगवान् को लेकर पूजते है तो कभी किसी भगवान् को लेकर. जबकि इसाई ओर मुस्लिम धर्म में ऐसा नहीं है. इसी की परिणिति है की अन्य धर्म अपनी रणनीति में कामयाब होते हुए पाश्चात्य संस्कृति की आड़ में अपने धर्म का प्रचार कर रहे है.

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2 आपकी गुफ्तगू:

Anonymous said...

मैने काफी क्रिसचियन साहित्य पढे है जिसमे वह हिन्दुओ कि निन्दा करते है। गरीब हिन्दुओ को प्रदान करने वाली शिक्षा और उपचार के बदले वह उनकी धर्मिक आस्था का सौदा करते है। धर्मांतरण करके लोगो मे अपनी मिट्टी और परम्परा के प्रति घृणा करना सिखा रहे है । यह कुछ कारण है जिसकी वजह से मैने क्रिसमस के नाम से कोई उत्सव न मनाने का फैसला लिया है । यही वजह है कि मै किसी हिन्दु से क्रिसमस की शुभकामना भी स्वीकार नही करता । मेरे इस सत्याग्रह को कुछ लोग फंडामेंटलिष्म का नाम देते है । आप ही बताईए कि क्या मेरा आग्रह गलत है ???

एस एम् मासूम said...

गरीब हिन्दुओ को प्रदान करने वाली शिक्षा और उपचार के बदले वह उनकी धर्मिक आस्था का सौदा करते है.
.

मजबूरी मैं अपनाया गया धर्म नहीं होता. इसलिए चिंता का विषय नहीं. अपने भाइयों का ख्याल यदि हर कौम करने लगे तो ऐसी स्थिति ना आये और मजबूरी मैं दूसरा धर्म ना माना पड़े.
किसी को मजबूर कर के अपने धर्म पे लाना अधर्म है...

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