वाह रे मेरे देश के युवा



आजकल अन्ना  का जादू सबके सिर  चढ़  कर बोल रहा है. बूढ़े हो, जवान हो या फिर हो युवा, सभी को मौका मिल गया है एक मुद्दा मिल गया है कुछ करने का. अभी हाल ही की तो बात है. एक युवा प्रेस-नोट देने प्रैस कार्यालय आता है. संयोगवश उसे वहां उसके एक बुजुर्ग परिचित मिल जाते हैं. बुजुर्ग, युवा से पूछते हैं कि यहां कैसे आना हुआ? युवा बताता है कि मैंने भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे आंदोलन में अपना समर्थन देने हेतु अन्य युवा साथियों के साथ गांव से शहर तक पैदल जनजागरण यात्रा निकाली है और लोगों को जागरुक किया है. बुजुर्ग युवा से बातों ही बातों में पूछते हैं कि आजकल क्या कर रहे हो तुम? पढ़ाई जारी है या पूरी हो गई? हां, पढ़ाई तो पूरी हो गई है, अब तो सरकारी नौकरी का इंतजार है, युवा ने बताया. बुजुर्ग टक से बोले- सरकारी नौकरी तो बहुत मुश्किल है भई, फिर तुम्हें.......। युवा मुस्कुराते हुए बोला- आप समझे नहीं, इस बार मेरे दादा जी गांव के सरपंच हैं और रही बात एक-दो या पांच लाख की तो वो भी दे देंगे. एक बार सरकारी नौकरी मिल गई तो एक साल में सारे पूरे कर दूंगा. सो तो है-बुजुर्ग ने कहा. उन दोनों की बात सुन रही कार्यालय स्टाफ कहती है-वाह रे मेरे देश के युवा, एक तरफ तो तुम भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में अपना समर्थन करते हो और दूसरी तरफ स्वयं ही..........।

- सुमन वर्मा -

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2 आपकी गुफ्तगू:

Atul Shrivastava said...

भेड चाल है।
सारा देश भ्रष्‍टाचार के खिलाफ... नारा बुलंद हो रहा था तो फिर बताएं कि आखिर भ्रष्‍टाचार कर कौन रहा है।
अच्‍छा लिखा है आपने। यही हकीकत है.....

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

बस यहीं पर हमारा हिन्दुस्तान मार खा गया. समझना समझाना सब ख़तम हो जाता है. सूर्य जी अच्छी प्रस्तुति है गूफ्तगू पर.

एक नज़र हमारी समिति पर डाले:
www.maavaishnoseva.com
www.biharbloodbank.com
खैर.. हम लोग जो कर सकते हैं कर रहे हैं, सरकारी नौकरी में होते शायद इतना भी नहीं कर पाते.

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तड़का मार के

* महिलायें गायब
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.

* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...

* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.

* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.

* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
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