वैलडन आफिसर.....................


दो महीनों में किया एक साल का काम, कुर्सी से उठकर काम करने में ही मिलती है सफलता
महात्मा गांधी यदि यूँ ही घर बैठ जाते तो शायद हम अंग्रेजों को अपने देश से कभी निकाल ही नहीं पाते | शहीदे-आजम भगत सिंह यदि अपनी जवानी के बारे में सोच लेते तो शायद आजादी की मशाल जल ही नहीं पाती | शुक्र है आज भी देश में कुछ अन्ना हजारे ऐसे हैं जो देश के लोगों के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तरह आमरण अनशन अपना कर बिना कुछ बवाल और हिंसा किये सरकार को झुकाने में सक्षम हैं | आज देश ही नहीं बल्कि प्रत्येक प्रदेशों में भी ऐसे चंद आफिसरों की जरूरत है जिनके बलबूते पर ना केवल भ्रष्टाचार का खात्मा किया जा सकता है बल्कि जुर्म की दुनिया को नेस्तानाबूद कर उन्हें सही रास्ते पर लाया भी जा सकता है लेकिन इसकी पहल कौन करेगा | यह सोच का विषय है | 
आप जानकार हैरान होंगे क़ि आज भी हमारे देश में प्रतिभाओं क़ी कमी नहीं है | आज भी प्रदेश में ऐसे आफिसर मौजूद हैं, जो इमानदारी और लगन के साथ अपना काम करते हैं लेकिन क्या ऐसे अधिकारियों को सरकार भी कुछ इनाम देगी, इस पर तो भले ही सवालिया निशान लग जाए लेकिन आपको बता दें क़ि पिछले दो महीनों में करनाल जिले में बतौर ऐ.एस.प़ी तैनात हुए आई.प़ी.एस आफिसर हामिद अख्तर ने उन कारनामों का खुलासा किया है जिनका खुलासा पूरे देश में नहीं हो पाया | वर्ल्ड कप में भले ही सटोरिये छाए रहे हों लेकिन उत्तर भारत में इस अधिकारी ने अकेले अपने बलबूते पर चार ऐसे सट्टेबाजों का खुलासा किया जो वर्ल्ड कप में लाखों करोड़ों का सट्टा लगा रहे थे | 
अधिकारी क़ि इस कारवाई ने एक बात साफ़ तौर पर जाहिर कर दी थी क़ि सफलता कुर्सी पर बैठे नहीं मिलती बल्कि सफलता को हासिल करने के लिए नीचे के कर्मचारियों  के सहारे ही नहीं बल्कि खुद भी समस्या से दौ-चार होना पड़ता है | हामिद अख्तर करनाल क़ि पुलिस लौबी में एक ऐसी शख्शियत बनकर उभरे हैं जिस पर आई.जी. वी. कामराजा को भी नाज होना चाहिए और हो भी क्यों ना , खुद आई.जी. सडकों पर निकल कर जनता क़ी बात सुनते हैं और मौक़ा मिलने पर उन भ्रष्ट और काम चोर पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भी कारवाई करने से गुरेज नहीं करते , जो पुलिस का नाम केवल मिटटी में मिलाना जानते हैं | लगता है कि हामिद अख्तर आई.जी. वी. कामराजा से विशेष ट्रेनिंग ले कर आये हैं | 
करनाल में आते ही उन्होंने वर्ल्ड कप के सट्टेबाजों का खुलासा तो किया ही किया साथ ही साथ ऐसे कईं गिरोह का पर्दा भी फाश कर दिया , जिन पर हाथ डालने के लिए पहले के आई.प़ी.एस. अधिकारी न केवल गुरेज कर रहे थे बल्कि डर भी रहे थे लेकिन काम और ईमान के पक्के हामिद अख्तर ने कोई समझौता नहीं किया | यह बात हालांकि उन अधिकारियों को पच नहीं पा रही जो पूर्व में एक दिन के मुख्यमंत्री की तरह अख्तर के पास जिला हवाले कर गए थे | लेकिन दो ही महीनों में इस आई.प़ी.एस अधिकारी ने उन कार्यों को अंजाम दे दिया जो शायद जिले की पुलिस साल भर में नहीं कर पाती | जरा इस डिटेल पर नज़र डालिए |
शाबाशी मिलेगी या होगी दुर्गति
हामिद अख्तर ने बतौर आई.प़ी.एस अधिकारी होने का जो फर्ज निभाया है , उनका यह फर्ज अकेले भी नहीं था | उनके साथ उनकी पूरी टीम साथ थी | अब देखना यह होगा क़ि क्या उनके द्वारा किये गये कार्यों क़ी प्रशंशा क़ी जाती है या फिर उन अधिकारियों व कर्मचारियों को तबादले के रूप में दंड दिया जाता है जो हामिद अख्तर जैसे आई.प़ी.एस अधिकारी का साथ दे रहे थे | यूँ तो आई.जी. वी. कामराज अपने नाम से ही नहीं बल्कि अपने काम से जाने जाते हैं | शायद हामिद अख्तर ने भी उन कदम चिन्हों पर चलने का प्रयास किया है | देखने वाली बात होगी क़ि क्या ऐसे अधिकारी को दोबारा किसी जिले का कप्तान बनाकर जुर्म को कम करने के लिए मौक़ा दिया जा सकता है या फिर उन्हें इस मौके से हटा दिया जाता है | यह भले ही सरकार के हाथ में हो लेकिन प्रदेश क़ि जनता इस फैसले का इन्तजार जरुर करेगी | 
करनाल से अनिल लाम्बा की गुफ्तगू

Related Articles :


Stumble
Delicious
Technorati
Twitter
Facebook

1 आपकी गुफ्तगू:

UmeshPVats said...

भाई साहब , मौका तो उन्हे ही दिया जाता है जो जाँबाजी से ज्यादा चापलूसी में निपुण हो।

Post a Comment

अंग्रेजी से हिन्दी में लिखिए

तड़का मार के

* महिलायें गायब
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.

* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...

* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.

* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.

* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
a
 

gooftgu : latest news headlines, hindi news, india news, news in hindi Copyright © 2010 LKart Theme is Designed by Lasantha