लगभग पूरे उत्तर भारत में इन दिनों ठण्ड अपने पूरे यौवन पर है. कहीं बर्फ़बारी हो रही है तो कहीं शीत लहर चल रही है. जहां तक पढ़ा और सुना है तो पारा भी अपना कमाल दिखा रहा है. अब हरियाणा को ही देख लो. कई जिलो में तो पारा शून्य से नीचे तक पहुँच गया है तो कहीं पहुँचने वाला है. कुल मिलकर ठिठुरन के आगे सब कुछ ठहर सा गया है. उस पर भी सूरज देवता मेहरबान नजर आ रहे है. दिखे तो दिखे नहीं तो कौन कुछ कहने वाला है. ऐसे में हर बाजार व् गली-मौहल्ले में सुबह से लेकर एक ही काम नजर आता है, आग सेकना.
इतनी ठण्ड में काम-धधे तो वैसे ही चौपट है उस पर जिन्हें आग की तपत नसीब नहीं हो रही वो कहीं ना कहीं किसी ना किसी गर्म चीज में दुबका नजर आ रहा है. वो चाह कर भी हीटर नहीं लगा सकता. इसका मुख्य कारण है की हाल ही में हरियाणा सरकार ने बिजली के बिलों में बेतहाशा बढ़ोतरी जो कर दी है. अगर किसी ने ठण्ड के चलते हीटर लगाया भी हुआ है तो बिजली बिल की सोच कर वैसे ही पसीना आ रहा है. लेकिन कहते है ना की मरता क्या ना करता. गर्मी भी जरुरी है. चलो जी सबकी अपनी-अपनी जिंदगी और अपनी-अपनी सोच है.
लेकिन यहाँ गुफ्तगू यह है की इस कडकडाती ठण्ड में अगर चल रहा है तो सिर्फ हीटर का धंधा. आज बिजली की कोई दुकान ऐसी नहीं होगी जहां दिन में 10 - 20 ग्राहक हीटर मांगने नहीं आते होंगे. इस कडकडाती ठण्ड में हीटर की जितनी बिक्री निकल रही है उतनी तो शायद किसी ने सोची भी नहीं थी. ऐसे में आज आम आदमी को हीटर मिलना तो दूर देखना भी नसीब नहीं हो रहा है. दिल्ली तक में हीटरों की इतनी कमी बताई जा रही है की जनवरी तक लागत पूरी नहीं हो सकती. इसका मुख्य कारण है की चाइना से अब कोई माल नहीं आ रहा.
बताते है की दिल्ली में चाइना से माल मंगवाने वाले जीतने लोग है उनका स्टाक ख़त्म हो चुका है. जिसके पास थोडा बहुत माल पड़ा है उसने हीटरों की कीमतों में इतनी वृद्धि कर दी है की अब हीटर खरीदना आम आदमी की पहुँच से बाहर हो गया है. क्योंकि अबकी बार भारत में जितना हीटर बिका है उसमे चाइना के हीटर का 80 प्रतिशत हिस्सा है. यही कारण रहा की सर्दी शुरू होने से पहले जिस हीटर की कीमत 300 थी वो अब 800 में बिक रहा है. इसके साथ ही जो घुमने वाला हीटर 800 में बिक चुका है दुकानदार उसके आज 1600 रूपए मांग रहा है.
ऐसे में जहां दिल्ली के होलसेल विक्रेता चांदी कूट रहे है वही स्थानीय दुकानदारों की भी बल्ले-बल्ले हो रही है. जबकि आम आदमी चाइना के आगे अपने को ठगा सा महसूस कर रहा है. उसको तो हीटर और बिजली बिल के नाम से ठंडी में भी पसीने आ रहे है.
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ठंडी में भी पसीना आये
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तड़का मार के
* महिलायें गायब
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.
* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...
* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.
* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.
* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.
* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...
* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.
* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.
* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
आओ अब थोडा हँस लें
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2 आपकी गुफ्तगू:
हीटर और बिजली बिल के नाम से ठंडी में भी पसीने आ रहे है.
ye dukaandaar aadami kee majaboori kaa laabh uthha rahe hain. n to in logon ne is maal par tax diya hotaa hai fir bhe p[ata nahin kaise keemat badha dete hai. cintajank hai dukandaron ka ye khel.
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