एक स्कूल का एक मंच लेकिन यहाँ सैकड़ो बच्चो जब विभिन्न पारंपरिक वेशभूषा में घूमते देखा तो एक बारगी तो लगा की पूरा भारत यहाँ एकत्रित हो गया हो. फिर भले ही इन बच्चो की भाषा अलग हो या रंग रूप. इन सभी का मकसद एक था की जिस देश की माटी में उन्होंने जन्म लिया है, इस स्कूल में बने मंच पर गीत के माध्यम से उसी माटी का गुणगान करना. मौका था भारत विकास परिषद् की राष्ट्रीय स्तर की समूहगान प्रतियोगिता का. 13 - 14 नवम्बर को हिसार में होने वाली इस समूहगान प्रतियोगिता का समापन रविवार को हो गया. पूरे देश के 41 प्रान्तों से आये लगभग 500 बच्चो ने रविवार को हिसार को अलविदा कहा. 13 नवम्बर को बड़े ही धूमधाम से प्रतियोगिता का आगाज हुआ. यह बात अलग है की कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्दू नहीं आ पाए लेकिन अपने देश भक्ति के गीतों से बच्चो ने जो समां बांधा हिसारवाशियों ने कभी उसकी कल्पना भी नहीं की थी.
प्रतियोगिता के रीजनल राउंड में भले ही बच्चो ने तमिल, उड़िया, गुजराती या फिर पंजाबी में गीत गाये हो लेकिन उनके परिधान और देश भक्ति से ओत प्रोत गीत यह बताने के लिए काफी थे की यह सभी भारतवाशी है. राष्ट्रीयता की भावना, देश की मान मर्यादा पर मर मिटने का आह्वान, आजादी की अनुभूति और स्वस्थ, समर्थन एवं संस्कृति पर बच्चो ने जिस कदर गीत प्रस्तुत किये उससे पंडाल में उपस्थित श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए. जैसे तैसे कर शनिवार का दिन इन बच्चो के लिए अच्छा बीत गया. लेकिन इनको नहीं पता था की रविवार को विदाई का दिन है. सभी बच्चे जहा अपनी-अपनी जीत को लेकर आश्वस्त होकर सोये थे वही दूर राज्यों से आये बच्चो की आँखे नम दिखाई दी. आयोजक भी अपने को नहीं रोक पाए. कहते है ना की बच्चे तो भगवान् का रूप होते है. और जब एक साथ इतनी तादात में बच्चो का समागम हो तो आँखे नम होना स्वाभाविक ही है.
बच्चे भी ऐसे की जो अपनी प्रस्तुति से लोगो के दिल में घर कर गए हो. फिर भले ही वो प्रतियोगिता में कोई स्थान हासिल कर पाए हो या नहीं. रविवार को जैसी की उम्मीद जताई जा रही थी नवजोत सिंह सिद्दू समापन समारोह में अवश्य आयेंगे वो तो नहीं आये लेकिन इस अवसर पर शिरकत करने वाली भाजपा नेत्री स्मृति इरानी भी शामिल नहीं हो पाई. राष्ट्रीय समूहगान प्रतियोगिता के रीजनल राउंड में दक्षिण कर्नाटक को पांचवा, उत्तर हरियाणा को चौथा, पश्चिम बंगाल को तीसरा, आसाम को दूसरा और दक्षिण पंजाब ने पहला स्थान प्राप्त किया. हिंदी फाग में आसाम को पांचवा, महाराष्ट्र - II को चौथा, दक्षिण हरियाणा को तीसरा, पश्चिम हरियाणा को दूसरा और दक्षिण दिल्ली को पहला स्थान मिला.
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प्रतियोगिता के रीजनल राउंड में भले ही बच्चो ने तमिल, उड़िया, गुजराती या फिर पंजाबी में गीत गाये हो लेकिन उनके परिधान और देश भक्ति से ओत प्रोत गीत यह बताने के लिए काफी थे की यह सभी भारतवाशी है. राष्ट्रीयता की भावना, देश की मान मर्यादा पर मर मिटने का आह्वान, आजादी की अनुभूति और स्वस्थ, समर्थन एवं संस्कृति पर बच्चो ने जिस कदर गीत प्रस्तुत किये उससे पंडाल में उपस्थित श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए. जैसे तैसे कर शनिवार का दिन इन बच्चो के लिए अच्छा बीत गया. लेकिन इनको नहीं पता था की रविवार को विदाई का दिन है. सभी बच्चे जहा अपनी-अपनी जीत को लेकर आश्वस्त होकर सोये थे वही दूर राज्यों से आये बच्चो की आँखे नम दिखाई दी. आयोजक भी अपने को नहीं रोक पाए. कहते है ना की बच्चे तो भगवान् का रूप होते है. और जब एक साथ इतनी तादात में बच्चो का समागम हो तो आँखे नम होना स्वाभाविक ही है.
बच्चे भी ऐसे की जो अपनी प्रस्तुति से लोगो के दिल में घर कर गए हो. फिर भले ही वो प्रतियोगिता में कोई स्थान हासिल कर पाए हो या नहीं. रविवार को जैसी की उम्मीद जताई जा रही थी नवजोत सिंह सिद्दू समापन समारोह में अवश्य आयेंगे वो तो नहीं आये लेकिन इस अवसर पर शिरकत करने वाली भाजपा नेत्री स्मृति इरानी भी शामिल नहीं हो पाई. राष्ट्रीय समूहगान प्रतियोगिता के रीजनल राउंड में दक्षिण कर्नाटक को पांचवा, उत्तर हरियाणा को चौथा, पश्चिम बंगाल को तीसरा, आसाम को दूसरा और दक्षिण पंजाब ने पहला स्थान प्राप्त किया. हिंदी फाग में आसाम को पांचवा, महाराष्ट्र - II को चौथा, दक्षिण हरियाणा को तीसरा, पश्चिम हरियाणा को दूसरा और दक्षिण दिल्ली को पहला स्थान मिला.
1 आपकी गुफ्तगू:
मेरा भारत महान!
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