
उसमें गुफ्तगू. अब जिसको यह आदत लग जाये वो चुप भी कैसे बैठ सकता है. इसीलिए पत्रकारों को नारद जी कहा जाता है. भाई बोलने के लिए तो दो ही लोग मशहूर थे. एक तो नारद जी और दूसरा महिलाये. या फिर यह कहा जाये की अब यही काम पत्रकारों ने संभाल लिया है.
अब देखो ना रविवार को वैलंटाइंस डे है. बहुत दिनों से सोच रहा था की वैलंटाइंस डे पर कुछ नहीं लिखूंगा. ना लिखने के बहुत से कारण है लेकिन मुख्य कारण यह है की इस दिन को मनाने के लिए सभी के पास अपने-अपने तर्क है. जो नहीं चाहता की आज की युवा पीढ़ी इस दिन को मनाये उनके पास भी अपने-अपने जवाब है. कहना यह चाहता हूँ की मुद्दा विवादस्पद है इसलिए चुप रहने में ही भलाई थी. लेकिन जैस की मैंने आपको अभी बताया की आज कुछ परेशान रहने लगा हूँ क्योंकि गुफ्तगू करने की आदत सी जो हो गई है. और जब मुद्दा हो, आलम हो तो कुछ लिखने के लिए बेचैनी होनी स्वाभाविक है. उस पर बजरंग दल का यह ब्यान की वो वैलंटाइंस डे का कोई विरोध नहीं करेंगे मुद्दे को और अधिक संघिन बना रहे है. क्या यह वही बजरंग दल है जिसके कार्यकर्ता कल तक हाथो में त्रिशूल लेकर इस दिन का विरोध किया करते थे.
मैं इस दिन के खिलाफ नहीं हूँ लेकिन मैं प्रबुद्ध पाठको और जागरूक जनता से यह पूछना चाहता हूँ की वैलंटाइंस डे पर भारतीय संस्कृति से खिलवाड़ सहित नग्नता, अश्लीलता और अभद्रता की नुमाइश क्या बंद हो गई है. या फिर जिस तरह से भारत का युवा समाज क्रिसमस और नववर्ष के आगोश में समाता जा रहा है कही उसी तरह ये "डे" एक दिन भारत की संस्कृति को मजाक तो नहीं बना देंगे. अगर ऐसा नहीं है तो क्यों आज का युवा विक्रमी संवत, तीज, भैया दूज और ना जाने ऐसे कितने ही भारतीय त्योहारों को भूलता जा रहा है. कही एक दिन ऐसा ना हो की भारतीय त्योहारों को भूल हम सिर्फ "डे" मनाते ही रह जाये. इसलिए जरुरी है की इस दिन को ना मनाने की बजाये हम इस दिन को भारतीय संस्कृति के रूप में मनाये. और विदेशो में भी यही कहा जाये की वैलंटाइंस डे तो भारत में मनाया जाता है.
3 आपकी गुफ्तगू:
मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और टिपण्णी देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! मेरे अन्य ब्लोगों पर भी आपका स्वागत है!
मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत बढ़िया लिखा है आपने ! आपकी लेखनी को सलाम!
कही एक दिन ऐसा ना हो की भारतीय त्योहारों को भूल हम सिर्फ "डे" मनाते ही रह जाये. इसलिए जरुरी है की इस दिन को ना मनाने की बजाये हम इस दिन को भारतीय संस्कृति के रूप में मनाये. और विदेशो में भी यही कहा जाये की वैलंटाइंस डे तो भारत में मनाया जाता है.
बहुत ही सुन्दर आलेख!
सही सलाह दी है आपने!
apne jo likha mujhe bahut accha laga ki hum valentine day manaye lekin bhartiya sabhyata ke anushaar ..
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