परिचय


13 जुलाई 1979 को मेरा जन्म हरियाणा प्रदेश के हिसार शहर में हुआ. परिवार में सबसे बड़ा होने के कारण सबका दुलारा था तो मेरे चाचा ने मेरा नाम सूर्य रख दिया. पढाई में कुछ खास अच्छा नहीं था लेकिन मेरी एक अध्यापिका की एक बात मेरे दिल में घर कर गई थी की मैं जिंदगी में कुछ नहीं कर सकता सो कुछ करने की ठान ली. किसी तरह हिसार के सबसे प्रतिष्ठित लाहौरिया स्कूल से +2 पूरी की और डी.एन. कालेज से बी. ऐ. की डिग्री हासिल की. इस दौरान दोस्तों में प्रेस का क्रेज देखने को मिला जो सिर चढ़ कर बोल रहा था. यही कारण था 1999 में हुए लोकसभा चुनावो के समय मैं कुछ समाचार पत्रों के संपर्क में आ गया था. यही से मेरा पत्रकारिता का सफ़र शुरू हुआ और एक सांध्य दैनिक तीसरा पहर से मैंने सीढ़िय चढ़नी शुरू कर दी. लगभग सात साल तक इस समाचार पत्र में काम करने के बाद मैंने राष्ट्रीय समाचार पत्र पंजाब केसरी दिल्ली, महामेधा, हरी भूमि सहित सांध्य दैनिक जूनून में काम किया. 2007 में मेरी शादी को अभी कुछ समय ही हुआ था की हरी भूमि में मेरे संपादक रहे रोशन लाल शर्मा का मेरे पास आया की क्या राष्ट्रीय हिंदी पाक्षिक समाचार पत्रिका में काम करना है तो मैंने अपने बॉस का आदेश मानते हुए सहमती में सिर हिला दिया. तब से आज तक में प्रथम इम्पैक्ट पत्रिका में कार्यरत हूँ.

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5 आपकी गुफ्तगू:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

प्रेरक प्रसंग!
बधाई!

mamta vyas said...

hameshaa surya ki tarah chamakate rahe

Anonymous said...

Roshan lal ji 'Hari bhoomi' mein sampadak kab the??????????

Ashwani pandey said...

bhut badhia badhi ho aap ko
ashwani pandey
senior corresspondent
patrika newspaper
bhopal

kapil said...

surya ji apki jindgi main jo baat apko teacher ne kahi thi wahi mujhe mere kisi apne ne kahi thi aur jo mere kore kagaj se dl main ghar kar gai aur ajj bhagwan ki daya se standard world t.v.detv patiala,danik jagat kranti main kam karne ke baad punjab kesari jalandher main batoor reporter kaam kar raha hoon.ye to manjil ka pehla kadam the,mukam to baki hai,jaal chuke jism main,jalne ki jaan abhi baki hai.apke kisi kaam aa saka to apna sobhagye samjhun ga..kapil dev sharma guhla cheeka 9315134000

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तड़का मार के

* महिलायें गायब
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.

* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...

* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.

* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.

* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
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