इनलो सुप्रीमो ने दिया एक नए अपवाद को जन्म
हरियाणा के पूर्व वित्तमंत्री प्रो संपत सिंह ने 36 वर्षो के अपने लंबे राजनीतिक जीवन की शुरुवात भले ही पूर्व प्रधानमंत्री देवीलाल के साथ शुरू की हो लेकिन राजनीतिक पारी तो उन्होंने ओमप्रकाश चौटाला के साथ ही खेली है। इस बीच ओमप्रकाश चौटाला ने भी प्रो संपत सिंह का भरपूर फायदा उठाया है। यही कारण रहा है की इनलो में संपत सिंह दूसरे न. के नेता जाने जाते थे। उनकी राजनितिक पारी का एक अहम् पहलु यह भी है की उनके राजनीतिक जीवन पर आज तक कोई दाग नही है। यही कारण है की आज कोई नेता उन्हें इनलो का हीरा बता रहा है तो कोई उन्हें गोल्डन मैन कह रहा है। लेकिन संपत सिंह की ये तारीफ इनलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला के गले नही उतर रही। शायद इसीलिए उन्होंने संपत सिंह को फर्जी प्रोफेसर की संज्ञा देकर हरियाणा की राजनीति में एक नए अपवाद को जन्म दे दिया है। भले ही ओमप्रकाश चौटाला ने संपत सिंह को फर्जी प्रोफेसर की संज्ञा दे दी हो लेकिन वो यह नही बता पाए की हरियाणा की राजनीति में कौन सा नेता असली प्रोफेसर है जो अपने नाम के आगे प्रोफेसर लगता है।
संपत सिंह द्वारा इनलो छोड़ने के बाद ओमप्रकाश चौटाला का कहना था की संपत सिंह बुद्धि जीवि नही है और संपत सिंह तो फर्जी प्रो. निकला। इसके 2 दिन बाद ही संपत सिंह ने कहा की उन्होंने कब कहा की वो प्रोफेसर है वो तो एक साधारण से प्रवक्ता (लेक्चरार)है। इसी वाद-विवाद से इस अपवाद ने जन्म ले लिया है की क्या राजनीति के वो सभी नेता फर्जी प्रोफेसर है जो अपने नाम के आगे प्रोफेसर लगते है। तो यह कहना ग़लत नही होगा की जी हाँ हरियाणा की राजनीति में जो भी नेता अपने आगे प्रो. लगाते है वो सभी फर्जी है। ये सभी महाविध्यालयो में पढाने वाले प्रवक्ता (लेक्चरार) है। जबकि राजनीति में आने के बाद इनके समर्थक इन्हे प्रो. कहने लगते है और यही कारण है की वो ही इनका सर नेम हो जाता है। जबकि असलियत यह है प्रो. बनने के लिए पहले लेक्चरार फिर रीडर और प्रोफेसर की डिग्री लेनी पड़ती है। जबकि हरियाणा के सरकारी महाविध्यालयो में कोई भी लेक्चरार प्रोफेसर नही है। बावजूद इसके ये नेता अपने को प्रोफेसर कहलवाने में गर्व महसूस करते है।
अगर संपत सिंह यह कहते है की उन्होंने कभी नही कहा की वो प्रोफेसर है तो कभी उन्होंने यह भी कभी नही कहा की उन्हें प्रोफेसर नही बुलाया जाए। इस कड़ी में हरियाणा के कई नेता शुमार है जो विधायक के साथ-साथ मंत्री पद को भी सुशोभित कर चुके है लेकिन आज भी उनके नाम के आगे प्रोफेसर जरुर लगा है। हरियाणा की राजनीति के इन फर्जी प्रोफेसरों में संपत सिंह के साथ-साथ भाजपा के प्रो. गणेशी लाल, इनलो के प्रो. रामभगत शर्मा और कांग्रेस के प्रो. छत्रपाल शामिल है। संपत सिंह द्वारा इनलो छोड़ने के गम ने भले ही हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला को इस कदर घेर लिया हो की उन्होंने संपत सिंह को फर्जी प्रोफेसर तक कह दिया लेकिन अब देखना यह है की क्या उनकी इस टिप्पणी से हरियाणा के अन्य नेता या राजनीतिक दल अपने नेताओ के नाम के आगे से यह प्रोफेसर का सिम्बल हटवाने के लिए कोई कदम उठाते है या नही।
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हरियाणा की राजनीति के ये फर्जी प्रोफेसर
तड़का मार के
* महिलायें गायब
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.
* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...
* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.
* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.
* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.
* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...
* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.
* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.
* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
आओ अब थोडा हँस लें
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1 आपकी गुफ्तगू:
मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! बहुत बढ़िया लिखा है आपने! अब तो मैं आपका फोल्लोवेर बन गई हूँ इसलिए आती रहूंगी!
मेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com
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