अक्सर सुनने में आता है की शादी के लिए भगवान् ऊपर से ही जोडियाँ बना कर भेजता है. शायद यहीं कारण है की जिसकी शादी जिससे होनी लिखी है उसी से होती है भले ही चाहे लड़का मना करें या लड़की, या किसी के माता-पिता. इसी विषय पर मेरी एक पत्रकार साथी सुमन वर्मा की एक छोटी सी गुफ्तगू.
जब मेरे ताऊजी की बेटी कौशल की शादी हुई, तब मैं कक्षा 11 वीं के फाईनल पेपर दे रही थी। शादी क्योंकि घर में थी हमने शादी के खूब मज़े लिये और साथ ही मेहमानों की खातिरदारी भी की। शादी के दस दिन बाद मेरी मम्मी ने मुझे बताया कि कौशल की ससुराल वालों ने तेरे लिए रिश्ते का प्रस्ताव भेजा है। यह सुन मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और मेरे पापा जी ने भी मेरा साथ दिया। रिश्ते के लिए मना कर दिया गया। चार साल बाद फिर उन्हीं ताऊ जी के बेटे की शादी रखी गई। शादी धूमधाम से हुई। इस शादी के दूसरे ही दिन पापा जी ने मुझे कहा कि कौशल के यहाँ से जो रिश्ता पहले तुम्हारे लिए आया था, उन्हीं ने दौबारा मुझे तेरे रिश्ते के लिए कहा है। मुझे सब पसंद है, तुम्हारी क्या सलाह है? मैंने कहा - मैं एम.बी.ए. पूरी होने के बाद शादी करूंगी। पापा जी ने फिर से रिश्ते के लिए मना कर दिया। समय के साथ मेरी पढ़ाई भी पूरी हो गई और कई जगह से रिश्ते भी आए, लेकिन बात कौशल दीदी के यहां ही पक्की हुई। मेरी सगाई वाले दिन जब सभी रस्में पूरी हो गई और सभी मेहमान चले गए, तब मेरी मम्मी ने हम सब के लिए चाय बनाई। मेरे मम्मी-पापा, बहन-भाई हम सब इक्कटठे बैठे चाय पी रहे थे। चाय पीते-पीते मैंने पापा जी से कहा कि मुझे पराया करके अब तो आपको शांति हो गई है ना। पापा ने कुछ नहीं कहा। मैंने भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया। मेरे भाई ने बात का विषय बदल दिया। थोड़ी देर बाद मेरी नजर पापा जी के चाय के कप की तरफ गई। कप भरा हुआ था मैंने पापा जी को आवाज लगाई कि चाय ठंडी हो गई है। कोई जबाव नहीं मिला तो मैंने बाहर की तरफ देखा, पापा जी दिखाई नहीं दिए। जब मैं छत पर गई तो मैंने देखा कि पापा जी सिसकिंया भर-भर कर रो रहे थे और मैं भी अपने आप को रोने से नहीं रोक पाई।
1 आपकी गुफ्तगू:
ha bikul sahi kaha, beti ke alag hone ka gum kya hota h , ye to us beti ke papa hi samgh sakte h
Post a Comment