मुद्दा तो बस एक बहाना है, लक्ष्य तो राजनीति चमकाना है. आज के नेताओ की यहीं सोच जनता के गले की हड्डी बनी हुई है. किसी को कुछ समझ ही नहीं आ रहा की क्या तो वो खुद करें और और क्या उनके लिए नेता कर रहे है. क्योंकि राजनितिक पार्टियां और उनके नेता जनहित की बात कर जो भी मुद्दे उठाते है वो जनहित के कम और राजनीती करने के लिए ज्यादा नजर आते है. अगर यहाँ बात देश-प्रदेश की करें तो ऐसे बहुत से मुद्दे नजर आयेंगे जिनको लेकर राजनितिक पार्टियों और नेताओ ने हो-हल्ला तो बहुत किया लेकिन नतीजा शुन्य मात्र ही रहा. इनमे से ही एक मुद्दा है परमाणु उर्जा संयंत्र का. इन दिनों यह मुद्दा सभी राजनीतक दल उठाये हुए है. फर्क मात्र इतना है की जिस प्रदेश में जो दल सत्ता में है सिर्फ वो चुप है बाकि सभी परमाणु उर्जा संयंत्र के लगाने का विरोध कर रहे है. इन दिनों देश में बहस छिड़ी हुई है कि यह ऊर्जा विकासकारी है या विनाशकारी। जापान में आए भूकंप व सूनामी के बाद फुकुशिमा परमाणु संयंत्र में मची तबाही ने इस बहस को तेज कर दिया है। जहां-जहां परमाणु संयंत्र लगने प्रस्तावित हैं, वहां पर परमाणु ऊर्जा का विरोध करने वाले पहले से अधिक सक्रिय हो चुके हैं और ऐसे ही राजनीतिक पार्टियां भी इस अवसर को भूनाने से पीछे नहीं हैं। अगर जनता है तो धरना-प्रदर्शन व् नेता है तो पत्रकारवार्ता कर अपना विरोध जाता रहे है. ऐसी राजनीतिक पार्टियां इस वक्त परमाणु ऊर्जा का विरोध तो कर रही हैं, लेकिन सत्ता में आने पर परमाणु संयंत्र हटाने की बात करने या संसद में परमाणु ऊर्जा के खिलाफ आवाज उठाने की बात पर केवल विचार कर रही हैं।
ऐसा ही एक वाक्या पिछले दिनों हिसार में हुआ। हिसार के पड़ोसी जिले फतेहाबाद में प्रस्तावित परमाणु ऊर्जा संयंत्र का प्रदेश में सभी पार्टियां विरोध कर रही हैं। विरोध कर रहे किसानों का साथ देने में भला भारतीय जनता पार्टी कैसे पीछे रह सकती थी। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव कैप्टन अभिमन्यु ने पिछले पखवाड़े हिसार में अपने निवास पर पत्रकारवार्ता आयोजित की. पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने जोरशोर से परमाणु संयंत्र का विरोध किया। मगर, जब उनसे पूछा गया कि क्या उनकी पार्टी परमाणु संयंत्र स्थापित करने के खिलाफ संसंद में आवाज उठाएगी तो पहले उन्होंने कहा कि वह सांसद नहीं हैं, जो संसद में आवाज उठाएं। फिर जब उनसे पूछा गया कि यहां बात उनकी नहीं बल्कि उनकी पार्टी की हो रही है तो उन्होंने कहा कि विचार किया जाएगा। एक अन्य पत्रकार ने पूछा कि क्या उनकी पार्टी केंद्र की सत्ता में आने पर परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को बंद कर देगी, तो इस पर भी वह कुछ खास नहीं कह पाए और कहा कि पार्टी विचार करेगी।
अब ऐसे राजनीतिक नेताओं से कोई ये पूछे कि क्या ये पार्टियां केवल राजनीतिक फायदा लेने के लिए ही किसी मुद्दे का विरोध या समर्थन करती हैं। जब उनकी पार्टी फतेहाबाद में लगने वाले परमाणु ऊर्जा संयंत्र का विरोध कर रही है और परमाणु ऊर्जा को मानवता के लिए खतरा मानती है तो उनकी पार्टी को यह मुद्दा संसद में उठाने या सरकार आने पर परमाणु संयंत्र बंद करने के लिए विचार करने की जरूरत क्यों है। जब केवल बातें या धरने-प्रदर्शन न करके व्यावहारिक कदम उठाने की बात आती है तो क्यों पार्टी विचार करने की बात कहती है। क्यों इस मुद्दे का विरोध कर रही राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधि ईद के चांद की तरह संयंत्र का विरोध कर रहे किसानों के समर्थन में कभी-कभार ही नजर आते हैं।
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ऐसा ही एक वाक्या पिछले दिनों हिसार में हुआ। हिसार के पड़ोसी जिले फतेहाबाद में प्रस्तावित परमाणु ऊर्जा संयंत्र का प्रदेश में सभी पार्टियां विरोध कर रही हैं। विरोध कर रहे किसानों का साथ देने में भला भारतीय जनता पार्टी कैसे पीछे रह सकती थी। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव कैप्टन अभिमन्यु ने पिछले पखवाड़े हिसार में अपने निवास पर पत्रकारवार्ता आयोजित की. पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने जोरशोर से परमाणु संयंत्र का विरोध किया। मगर, जब उनसे पूछा गया कि क्या उनकी पार्टी परमाणु संयंत्र स्थापित करने के खिलाफ संसंद में आवाज उठाएगी तो पहले उन्होंने कहा कि वह सांसद नहीं हैं, जो संसद में आवाज उठाएं। फिर जब उनसे पूछा गया कि यहां बात उनकी नहीं बल्कि उनकी पार्टी की हो रही है तो उन्होंने कहा कि विचार किया जाएगा। एक अन्य पत्रकार ने पूछा कि क्या उनकी पार्टी केंद्र की सत्ता में आने पर परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को बंद कर देगी, तो इस पर भी वह कुछ खास नहीं कह पाए और कहा कि पार्टी विचार करेगी।
अब ऐसे राजनीतिक नेताओं से कोई ये पूछे कि क्या ये पार्टियां केवल राजनीतिक फायदा लेने के लिए ही किसी मुद्दे का विरोध या समर्थन करती हैं। जब उनकी पार्टी फतेहाबाद में लगने वाले परमाणु ऊर्जा संयंत्र का विरोध कर रही है और परमाणु ऊर्जा को मानवता के लिए खतरा मानती है तो उनकी पार्टी को यह मुद्दा संसद में उठाने या सरकार आने पर परमाणु संयंत्र बंद करने के लिए विचार करने की जरूरत क्यों है। जब केवल बातें या धरने-प्रदर्शन न करके व्यावहारिक कदम उठाने की बात आती है तो क्यों पार्टी विचार करने की बात कहती है। क्यों इस मुद्दे का विरोध कर रही राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधि ईद के चांद की तरह संयंत्र का विरोध कर रहे किसानों के समर्थन में कभी-कभार ही नजर आते हैं।
1 आपकी गुफ्तगू:
bilkul sahi kaha apane sir
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