क्योंकि हम आज को देखते है


जैसा की सभी जानते है की हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने वाले है। इन्ही को देखते हुए इस बार भी अनेक नेताओ का एक पार्टी से दूसरी पार्टी में आना-जाना लाजमी था। अक्सर देखने में आता है की जब ये नेता ऐसा करते है तो जनता की वाह-वाही लूटने के लिए अपनी पुरानी पार्टी पर 100 लांछन लगाते है। जनता भी उनके बहकावे में आकर उनका भरपूर सहयोग देती है। कोई उस समय नही समझ पाता की अगर नेता ऐसा कर रहा है तो इसका मुख्य कारण क्या है। लेकिन जनता वही देखती है जो वो नेता दिखाना चाहता है। लेकिन जो जनता उसके ऐसा करने में सहभागी नही है वो समझती है की अगर नेता दल-बदल कर रहा है तो वो या तो ग़लत कर रहा है या फ़िर उसके दिल में कुछ और चल रहा है। लेकिन समय के साथ-साथ जब दूसरी पार्टी में भी उस नेता को चुनावो के दिनों में टिकट नही मिलती तो वो फ़िर से पहले वाला राग अलापने लगता है। जनता फ़िर कुछ और समझती है लेकिन देखती वही है जो नेता दिखाना चाहता है। ऐसा नही है की मैं सिर्फ़ दल-बदल करने वाले नेताओ के प्रति ही गुफ्तगू करना चाहता हूँ। मैं उन सभी अनछुए पहलुओ पर गौर करना चाहता हूँ जो चुनावो के दिनों में सर उठाये खड़े हो जाते है। लेकिन कुछ पहलुओ को छोड़ ये नेता जनता को उल्लू बना अपना कार्य सिद्ध कर जाते है। ऐसा इसलिए नही की नेता हम से ज्यादा समझदार है लेकिन इसका मुख्य कारण यह है की हर बार की भांति चुनावो के दिनों में हम वो ही देखते है जो राजनितिक आदमी हमको दिखाना चाहता है।
लोकसभा चुनाव में भी ऐसा ही हुआ
चार माह पूर्व संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में भी शायद ऐसा ही कुछ हुआ। किसी ने यह सपने में ही नही सोचा था की कांग्रेस फ़िर से सत्तासीन होगी। इसका मुख्य कारण था महंगाई और कालाबाजारी। स्वयं कांग्रेस मान रही थी की उसको सीटो का नुक्सान उठाना पड़ेगा। लेकिन जो नतीजे आए वो चौकाने वाले थे। बीती भाजपा सरकार में जो शेयर बाजार 14 से 15 हजारी था वो कांग्रेस सरकार में 21 हजारी तक पहुँच गया था। सोने के जो भावः पॉँच हजार के आसपास थे वो कांग्रेस सरकार में 8 से10 हजार तक पहुँच गए थे। जो रसोई गैस भाजपा सरकार में घर-घर आती थी वो कालाबाजारी के चलते मिलनी मुश्किल हो गई थी। बावजूद इसके लोकसभा चुनावो में जनता ने वही देखा जो कांग्रेस सरकार ने दिखाना चाहा। शेयर बाजार औधे मुंह निचे गिरा तो सोने के आसमान छुते भावः भी कम कर दिए गए। महंगाई आसमान पर होने के बावजूद भी सरकार महंगाई दर शून्य से निचे दिखा रही थी। लेकिन आज कांग्रेस सरकार गठन के बाद एक बार फ़िर से जहा महंगाई अपने चरम पर है वही कालाबाजारी ने आम आदमी का जीना दूभर कर दिया है। सोने के भावः जहा सोलह हजार तक पहुँच गए है वही शेयर बाजार प्रतिदिन छलांग मार रहा है।
अब हरियाणा की बारी
ऐसा नही है की ऐसा सिर्फ़ केन्द्र सरकार ही करती है। कोई भी प्रदेश सरकार हो वो पुनः सत्तासीन होने के लिए ऐसे कई कदम उठाती है जिससे जनता को बेवकूफ बना कर कुर्सी हासिल की जा सके। अगर हम हरियाणा सरकार की बात करे तो सत्ता सँभालते ही प्रदेश में जिस कदर लाठी चार्ज किए गए उससे जनता को लगा की मुख्यमंत्री हुडा को राजनीति करनी नही आती। अभी कुछ समय ही गुजरा था की प्रदेश में फर्जी एनकाउंटर होने लगे। हर तरफ़ सरकार की किरकिरी के साथ-साथ सवाल उठने लगे की जहा प्रदेश का शासन किसी काम का नही है वही प्रशासन भी हुडा के बताये अनुसार काम नही कर रहा है। मंत्री से लेकर संतरी तक अपनी-अपनी राजनीति कर रहा है। हुडा है की सिर्फ़ इन्हे ही खुश करने में लगा हुआ है। लेकिन एक के बाद एक लोकप्रिय घोषनाये कर जहा जनता की वाह-वाही लूटने में मुख्यमंत्री कामयाब रहे वही जनता भी बहुत जल्दी उन सभी घटनाओं को भूल गई जिनके लिए वो कल तक मुख्यमंत्री को कोसा करती थी। अभी हाल ही की घटनाओं पर गौर करे तो पाता चलता है की प्रदेश में किसी कदर अपराधिक ग्राफ बड़ा है। पढ़े : हिसार में बेकाबू होते बदमाशो की बादशाहत जारी
हिसार
भी नही है अछुता
आज को सामने रख कर जनता का दिल चुराने से हिसार भी अछुता नही है। पॉँच साल तक प्रदेश सरकार में मंत्री रही सावित्री जिंदल के बारे में भी जनता कुछ न कुछ बोलती रही लेकिन यह समय का ही खेल था की आज कोई भी कुछ भी बोलने से हिचक रहा है। विकास के नाम पर सिर्फ़ दो पार्क बनाने को लेकर जहा विपक्षी पार्टिया कह रही थी की जिंदल परिवार ने अरबो रुपए की सरकारी जमीन हड़प ली है वही सड़के और बिजली की समस्या से भी गर्मी में जनता को दो-चार होना पड़ा था। चार साल से जिंदल फैक्टरी के समीप बनने वाले पुल के निर्माण को लेकर भी जिंदल परिवार की काफी किरकिरी हुई है। जहा नगर का पुराना पुल अभी तक कंडम पड़ा है वही हिसार से सावित्री जिंदल की जीत सिनिश्चित करने के लिए उस पर लाखो रुपए की बर्बादी कर रबड़ की परत बिछाई जा रही है। क्या यह माना जाए की यह सिर्फ़ इसलिए हो रहा है की जनता को आज दिखाना है की हिसार में विकास हो रहा है।
वाह रे राज और वाह री राजनीति
इतना तो स्पष्ट है की यह जो कुछ हो रहा है वो सब राज पाने के लिए राजनीति के अंतर्गत हो रहा है लेकिन मेरी यह गुफ्तगू इसलिए मायने रखती है की आखिर समझ आने के बावजूद जनता कुछ भी समझने को तैयार क्यो नही है। तो क्या मैं यह मान लू की राजनीति हमको आज दिखाती रहेगी और हम आज को देख कर बेवकूफ बनते रहेंगे। या फ़िर लोकसभा चुनावो में मिली जीत के पश्चात् भी कांग्रेस को उपचुनावो में भाजपा के हाथो मुहं की खानी पड़ी उससे यह माना जाए की जनता ने आज देखना छोड़ दिया है। मेरी इस गुफ्तगू के लिए आपकी गुफ्तगू भी जरुरी हैकृपया इस गुफ्तगू मैं मेरा साथ दें

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1 आपकी गुफ्तगू:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

को नृप होय, हमें क्या हानि।
बधाई!

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