भले ही देश में कांग्रेस का एक छत्र राज कायम हो गया है और अब कांग्रेस की सरकार बनना तय है लेकिनइसके साथ ही देश की महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का काम भी आसान हो गया है । कल तक जोअनुमान लगाया जा रहा था की देश में खिचडी की सरकार बन सकती है और देश की लगभग सभी पार्टियाजोड़-तोड़ में जुटी हुई थी वही कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलना सभी अनुमानों को फेल कर गया । कांग्रेस बहुमतके करीब पहुँच गई हो लेकिन इस जीत के पीछे सिंह इस किंग का फेक्टर काम करना शुरू कर गया है । आजजैसे जैसे कांग्रेस प्रत्याशियों की जीत की सुचना आती गई वैसे वैसे कांग्रेस समर्थक सात रेसकोर्स पर मनमोहनआवास पर उमड़ने लगे । एक समय ऐसा आया जब ये समर्थक सिंह इस किंग के नारे लगाते नजर आए ।
कहते है भारतीय राजनीति में सबकुछ सम्भव है । शायद यही कारण रहा की कल तक जहा यह सोचा जा रहाथा की अगर देश में खिचडी की सरकार बनी तो महामहिम सरकार बनाने के लिए किसको आमंत्रित करेंगी । कांग्रेस को छोड़ किसी और गठबंधन को आमंत्रित करना उनके लिए दुविधा का काम होता । क्योंकि एक लंबेअरसे के बाद देश का राष्ट्रपति ऐसा है जिस पर किसी पार्टी की मुहर लगी है । लेकिन अब उनके लिए किसी एकदल को सरकार बनाने के लिए बुलाना आसान हो गया है । उधर भाजपा सहित लेफ्ट ने भी स्वीकार कर लियाहै की उनके लिए सरकार बनाना गुजरे ज़माने की बात हो चुकी है ।
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सिंह इस किंग नारे के साथ राष्ट्रपति का काम हुआ आसन
लेबल: कांग्रेस, चुनावी गुफ्तगू, सभी
तड़का मार के
* महिलायें गायब
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.
* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...
* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.
* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.
* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.
* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...
* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.
* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.
* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
आओ अब थोडा हँस लें
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1 आपकी गुफ्तगू:
सचमुच सिंघ इज किंग ने काम कर दिखाया.....
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