घर से निकला तो गली में अवैध निर्माणों का अतिक्रमण, गली से निकला तो बाजारों में दुकानदारो का अतिक्रमण, बाजारों से निकला तो चौराहो पर ऑटो रिक्शा का अतिक्रमण, मुख्य सड़क पर आया तो अवैध वाहनों काअतिक्रमण । और यह सिर्फ़ मेरे शहर का ही नही अपितु पुरे देश का हाल है । आज अगर हम किसी बाज़ार सेगुजरते है और जाम में फंस जाते है तो हम मकान मालिक, दुकानदार या प्रशासन को कोसते है लेकिन उस समयहम यह भूल जाते है की कही न कही हम भी दोषी है । हमने भी कही अतिक्रमण किया हुआ है । घर से निकलने केपश्चात् बिरला ही कोई ऐसा गली - मोहल्ला होगा जहा अतोक्रमण न हो । कोई ऐसा बाज़ार नही है जहा प्रतिस्पर्धाके चलते अतिक्रमण को बढावा न दिया जा रहा हो। हम उस समय यह क्यो भूल जाते है की हम से शराब के ठेकेभले जो हम से महंगे में छुटने के बाद भी 1 इंच जगह का अतिक्रमण नही करते । प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी प्रदेश सरकार ने आबकारी नीति के तहत ठेकों की कीमत में 7 प्रतिशत का इजाफा करने फ़ैसला लिया है । बावजूद इसके आज प्रदेश सहित देश का एक भी ठेका अतिक्रमण नही करता । जबकि हम प्रतिदिन और अधिक अतिक्रमण करने के बारे में ही सोचते रहते है ।
1 आपकी गुफ्तगू:
सही कहा .... सिर्फ अतिक्रमण ।
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