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   गुफ्तगू ! समाचार एक पहलु यह भी 

देश में प्रतिदिन, प्रति पल कोई ना कोई ऐसी घटना होती ही रहती है जो हम लोगो के लिए गुफ्तगू का विषय बन जाती है. ऐसी घटनाओं को ना तो समाचार पत्रों में स्थान मिलता है और ना किसी को कानों-कान खबर ही होती है. कुछ ऐसे ही आम नजरिये को खास खबरों में पेश करने के लिए देश की पहली समाचार वेब साईट शुरू करने का प्रयास किया गया है. आशा है आपका साथ बना रहेगा. इसी कड़ी में आप भी अपनी कोई गुफ्तगू, समाचार, लेख, गीत, कविता, ग़ज़ल, कथा, लघुकथा और अन्य रचनाएं हमको भेज सकते हैं. आपको हरसंभव व् उचित स्थान दिया जायेंगा.
ई मेल पता - surya_journalist@yahoo.com
                 surya.journalist@gmail.com

फोन नंबर - 99916-10952

संपादक :- सूर्य गोयल


गुफ्तगू के बारे में


लगभग आधे दर्जन से अधिक समाचार पत्र-पत्रिकाओ में काम करने के बाद एक बात जरुर समझ में आई की आज पत्रकार अपने संपादक के आगे मजबूर है और संपादक अपने मालिक के आगे. कसूर उसका भी नहीं है क्योंकि मालिक या तो बाजारवाद में फंसा हुआ है या फिर उसके ऊपर सरकार या यह कहे की सरकारी आदमी का डंडा है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. इस में भी कोई दो राय नहीं की आज पत्रकारिता पूंजी व् सत्ता का उपकर्म बन कर रह गई है इसलिए आज मिडिया आम आदमी से दूर होने लगी है. यही कारण है की आज कुछ समाचार या तो छपते नहीं या फिर उन्हें छापा नहीं जाता. होता यही है की बाद में ऐसे ही कुछ समाचार जनता के लिए गुफ्तगू का विषय बन जाते है.
क्यों शुरू की गुफ्तगू 
आज मिडिया इतना तेज हो गया है की सुबह से लेकर शाम तक लगभग सभी समाचार किसी ना किसी जरिये से हम तक पहुँच ही जाते है. लेकिन आज ऐसे बहुत से समाचार है जो हम तक तो नहीं पहुँचते लेकिन अक्सर वो जनता के लिए गुफ्तगू का विषय बन जाते है. गुफ्तगू इसी दिशा में एक सार्थक पहल है की यह समाचार भी आप तक पहुंचे. कुछ इन्ही गुफ्तगुओ से निकले हुए समाचार आपके आगे पेश है. समाचार भी ऐसे की जो आपको समाचारों के दुसरे पहलु से भी अवगत करवाएंगे. अब जरुरत है तो बस आपकी गुफ्तगू की.


परिचय


13 जुलाई 1979 को मेरा जन्म हरियाणा प्रदेश के हिसार शहर में हुआ. परिवार में सबसे बड़ा होने के कारण सबका दुलारा था तो मेरे चाचा ने मेरा नाम सूर्य रख दिया. पढाई में कुछ खास अच्छा नहीं था लेकिन मेरी एक अध्यापिका की एक बात मेरे दिल में घर कर गई थी की मैं जिंदगी में कुछ नहीं कर सकता सो कुछ करने की ठान ली. किसी तरह हिसार के सबसे प्रतिष्ठित लाहौरिया स्कूल से +2 पूरी की और डी.एन. कालेज से बी. ऐ. की डिग्री हासिल की. इस दौरान दोस्तों में प्रेस का क्रेज देखने को मिला जो सिर चढ़ कर बोल रहा था. यही कारण था 1999 में हुए लोकसभा चुनावो के समय मैं कुछ समाचार पत्रों के संपर्क में आ गया था. यही से मेरा पत्रकारिता का सफ़र शुरू हुआ और एक सांध्य दैनिक तीसरा पहर से मैंने सीढ़िय चढ़नी शुरू कर दी. लगभग सात साल तक इस समाचार पत्र में काम करने के बाद मैंने राष्ट्रीय समाचार पत्र पंजाब केसरी दिल्ली, महामेधा, हरी भूमि सहित सांध्य दैनिक जूनून में काम किया. 2007 में मेरी शादी को अभी कुछ समय ही हुआ था की हरी भूमि में मेरे संपादक रहे रोशन लाल शर्मा का मेरे पास आया की क्या राष्ट्रीय हिंदी पाक्षिक समाचार पत्रिका में काम करना है तो मैंने अपने बॉस का आदेश मानते हुए सहमती में सिर हिला दिया. तब से आज तक में प्रथम इम्पैक्ट पत्रिका में कार्यरत हूँ.


अंग्रेजी से हिन्दी में लिखिए

तड़का मार के

* महिलायें गायब
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.

* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...

* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.

* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.

* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
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