महिलायें गायब


- हिसार लोकसभा उपचुनाव के चुनावी मुद्दों में से -
रैली- 1 
राजनीतिक दल- भाजपा
महिला नेत्री- विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज
केंद्र की कांग्रेस सरकार महंगाई व् भ्रषाचार के कारण अलोकप्रिय व् बदनाम हो चुकी है. हजकां-भाजपा गठबंधन एक + एक नहीं अपितु एक और एक ग्यारह बन कर भारत की राजनीति में बदलाव की आहट करेगा. 
रैली- 2 
राजनीतिक दल- कांग्रेस
महिला नेत्री- दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित
भ्रष्टाचार को रोकने में अगर किसी पार्टी ने जरुरी कदम उठायें है तो वो सिर्फ कांग्रेस ने उठायें है. भाजपा के पास ना नेता है ना नीति है और ना ही कोई नियत. देश का विकास सिर्फ कांग्रेस ही कर सकती है. 
रैली- 3 
राजनीतिक दल- इनलो
महिला नेत्री- कांता अलहड़िया 
हजकां-भाजपा व् कांग्रेस ने कभी भी बाल्मीकि समुदाय को याद नहीं किया वहीँ प्रदेश के मुख्यमंत्री, उनके पुत्र और पूरा सरकारी अमला एक-एक वोट के लिए जिले में डेरा डाल कर लोगो से भीख मांग रहे है. 
लोगों को विकास करने व् भ्रष्टाचार मिटाने के सब्जबाग दिखाने के पश्चात आखिरकार वह दिन भी नजदीक आ ही गए जब सभी राजनीतिक दलों ने अपना दमखम लगाने के बाद विशाल रैली कर अपनी ताकत दिखाने का प्रयास किया. तीन दिन तक लगातार हुई इन रैलियों में जहाँ नेताओं ने  आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ वोट हथियाने के लिए किसी ने कोई दिग्गज नेता बुलाया तो किसी ने अभिनेता. सभी रैलियों में उच्च स्तर की महिला नेत्री भी उपस्थित रही. सिर्फ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.
ज्ञात रहे की हिसार लोकसभा के कुल मतदाताओं में 45 प्रतिशत भागीदारी महिलाओं की है. बावजूद इसके प्रदेश में महिलाओं के प्रति असुरक्षित वातावरण व् आनर किलिंग के मुद्दे पर ना विपक्ष कुछ बोला और ना पक्ष से कुछ बोला गया. जबकि 33 प्रतशत आरक्षण की बात करने वाले सभी राजनीतिक दलों के पास लोकसभा चुनाव लड़ने वाली एक महिला नेत्री तक नहीं है. अक्सर राजनीतिक पार्टियां संसद तथा विधानसभा के अन्दर व् बाहर महिलाओं की बातें तो करते है लेकिन पता नहीं क्यों हिसार के मंच पर किसी भी नेता को महिलाओं की याद तक नहीं आई.
किसी ने महंगाई का रोना रोया तो किसी ने भ्रष्टाचार का गीत गया. अन्ना हजारे व् उनकी मुहीम का जिक्र करना भी कोई नहीं भुला. मकसद सभी का एक ही था की किसी तरह जनता के वोट हासिल किये जाये. लेकिन क्या हिसार जिले में महिलाओं के वोट नहीं है या राजनीतिक पार्टियों व् नेताओं को महिलाओं से कोई सरोकार नहीं है.

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तड़का मार के

* महिलायें गायब
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.

* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...

* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.

* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.

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भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
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