पूरा वर्ष हावी रहा जाट समुदाय


कहते है की हरियाणा जाटों का और जाट हरियाणा के. यहीं कारण है की हरियाणा प्रदेश के स्वरूप में आने के पश्चात से ही यहाँ जाट समुदाय का राज रहा है. आज नौकरी से लेकर कुर्सी तक हरियाणा में जाट समुदाय का अधिपत्य है. बावजूद इसके कभी आरक्षण तो कभी न्यालय के फैसले के खिलाफ जाट समुदाय पूरे वर्ष लामबंध नजर आया. खास बात यह रही की चाहे जाटों के आरक्षण की मांग रही हो या मिर्चपुर प्रकरण, दोनों ही मामलो का केंद्र बिंदु हिसार रहा. इन दोनों मामलो में ही हिसार व् यहाँ के लोगो ने वो सब कुछ देखा जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी.
अगर बात मिर्चपुर काण्ड से शुरू की जाये तो 21 अप्रैल को शुरू हुआ यह मामला ठंडा होने का नाम नहीं ले रहा है. मामले के शुरूआती दौर में जाट समुदाय दलितों पर हावी रहा तो कभी सरकार पर. हद तो उस समय हो गई जब इन्होने न्यायालय के फैसले को भी मानने से इनकार कर दिया. न्यायालय के फैसले के विरोध में एक और जहां जाट समुदाय के गिरफ्तार आरोपियों ने जेल में खाना छोड़ दिया वही सैकड़ो लोग गाँव में ही धरने पर बैठ गए. महापंचायत बुलाई गई और सरकार व् न्यायालय के खिलाफ उनकी मांगे नहीं मानने पर सडको पर उतर कर आर-पार की लड़ाई करने का बिगुल बजा दिया गया. साथ ही साथ सरकार को चेतावनी पर चेतावनी दिए जा रहा है. 21 अप्रैल को एक कुतिया के भौकने के बाद पुलिस प्रशासन से लेकर आम आदमी ने कभी सोचा भी नहीं था की भौकने वाली कुतिया को लात मरना इतना महंगा पड़ जायेगा की जाट समुदाय के 200 - 250 लोग गाँव की बाल्मीकि बस्ती को आग लगा देंगे. मामले ने यहीं से तूल पकड़ा और इस आग में एक परिवार का मुखिया ताराचंद और उसकी एक अपाहिज बेटी सुमन जिन्दा जल गए. जबकि अग्निकांड का सारा खेल नारनौंद थाना प्रभारी विनोद काजल की आँखों के आगे होता रहा और वो चुप चाप तमाशा देखते रहे. घटना के पश्चात हरकत में आई पुलिस ने तुरत-फुरत में नारनौंद थाना प्रभारी विनोद काजल व् पांच नाबालिग सहित 103 लोगो को गिरफ्तार किया.
अदालत के फैसले के बाद पांचो नाबालिगो को बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया, जबकि उप तहसीलदार जागी राम सहित 10 अन्य लोग निर्दोष साबित हुए. मामले की सुनवाई हिसार के सत्र न्यायालय में चल रही थी और सभी आरोपी भी हिसार जेल में बंद है. मामले की गंभीरता को देखते हुए सर्वोच्च नायालय ने सुनवाई के लिए दिल्ली की रोहणी अदालत में मामला स्थान्तरित करने के आदेश दिए. सर्वोच्च न्यायालय का यहीं आदेश आने से जाट समुदाय भड़क गया और जेल में बंद सभी आरोपियों ने खाना छोड़ने का ऐलान कर दिया. सुनवाई के दौरान दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने फैसला दिया की सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश किया जाये.उधर मिर्चपुर में आयोजित महापंचायत ने सरकार को अल्टीमेटम दिया है की अगर मामले की सुनवाई हिसार में, मामले की जांच रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी से व् जिन आरोपियों के पक्ष में दलित समुदाय ने शपथ पत्र दिए है उन्हें बाहर नहीं निकाला तो जाट समुदाय सडको पर उतर कर संघर्ष करेगा. महापंचायत ने सरकार पर आरोप लगाया की जान बुझ कर इस मामले को लम्बा खिंच रही है. अखिल भारतीय जाट संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मालिक ने महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा की प्रदेश के कुछ नेता इस मामले को लेकर अपनी राजनीति चमकाने में जुटे है लेकिन खाप पंचायते ऐसा नहीं करने देगी. साथ ही फैसला लिया गया की ग्रामीणों का धरना जारी रहेगा.
आखिरकार 14  जनवरी को भारी सुरक्षा के बीच सभी 98 आरोपियों को हिसार जेल से दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ले जाया गया. सुनवाई के दौरान आरोपियों के वकील ने प्रार्थना कि की आरोपियों को हरियाणा कि जेल में ही रखा जाये, तो न्यायालय ने यह कह कर ठुकरा दिया की अदालत अतिशीघ्र इस मामले की सुनवाई करेगी. अदालत ने 21 जनवरी को सभी आरोपियों के विरुद्ध आरोप तय करने की घोषणा भी की. अदालत ने कहा है की यदि कोई निर्दोष पाया जाता है तो उसे जल्द ही रिहा कर दिया जायेगा. उल्लेखनीय है की 12 जनवरी को मिर्चपुर में हुई सर्वखाप पंचायत में निर्णय लिया गया था की अगर आरोपियों को दिल्ली जेल में रखा गया तो रेलवे व् सड़क यातायात जाम कर दिया जायेगा.
इसके अतिरिक्त जाट आरक्षण मामले में भी जाट समुदाय प्रदेश में हावी रहा. उसकी विस्तृत गुफ्तगू मुख्य पृष्ठ पर  जाट आरक्षण की आग में दी गई है.

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