जन सरोकार और जन साधारण के लिए बनी रसोई गैस से आज आम आदमी ही वंचित रह जाता है. गर्मी हो या सर्दी रसोई गैस के लिए हमेशा ही मारामारी रहती है. इसकी मारामारी के पीछे सब के अपने-अपने तथ्य है. जबकि सच्चाई यह है की आज रसोई गैस सभी के लिए एक धंधा बन कर रह गई है. एजेंसी मालिक है तो इसको ब्लैक में बेच कर दो पैसे ज्यादा कमाने के चक्कर में रहता है तो एक कार स्वामी भी कम खर्चे में अपनी कार रसोई गैस से ही चलाना चाहता है. जबकि कोई हलवाई हो या चाय की रेहड़ी लगाने वाला सब को रसोई गैस का घरेलु सिलेंडर ही चाहिए. शादियों और अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठानों में उपयोग अभी अलग रह जाता है. अब अगर इस तरह गैरकानूनी रूप से रसोई गैस का उपयोग करने वालो को ही अगर कल को गैस नहीं मिलती है तो धरना-प्रदर्शन और नारेबाजी करने से यह लोग गुरेज नहीं करते.
ऐसा नहीं है की यह सिर्फ हम ही कह रहे है. हिसार में पिछले कुछ दिनों में जो कुछ भी हुआ उसको देख कर तो ऐसा ही लगता है. अब देखो ना पिछले एक महीने से गैस नहीं मिलने के कारण हिसार निवासी सुबह से लाइन लगाये खड़े थे. उनको इंतजार करते एक घंटे से भी ऊपर हो चुका था की गैस नहीं मिल रही थी. एजेंसी द्वारा बार-बार यही कहा जा रहा था की अभी ट्रक आने वाला है, सभी को गैस मिल जाएँगी. कहते है की इंतजार का फल मीठा होता है तो लोगो को दूर से ट्रक आता दिखाई दिया. लेकिन यह क्या ट्रक आते ही उसमे से गैस उतार कर कहीं ओर जाने लगी. यह देख लोगो के सब्र का बाँध टूट गया और वहीँ पर नारेबाजी शुरू कर जाम लगा दिया. वही दूसरी तरफ हाल ही में शहर थाना के करीब गाड़ियों के ए.सी. में गैस भरने की एक दुकान में सिलेंडर फटने से आसपास हाहाकार मच गया. दुकान धूं- धूं कर जलने लगी. बड़ी मशक्कत के पश्चात जब आग पर काबू पाया गया तो देखा की दुकान में रसोई गैस के चार सिलेंडर रखे हुए थे जो की आग लगने का कारण बने.
ऐसा नहीं है की सब गलती यही लोग ही करते है. गैस सिलेंडर की कमी के पीछे एजेंसी मालिको का भी पूरा हाथ रहता है. जब कभी पीछे से ही गैस की सप्लाई 10 प्रतिशत कम होती है तो एजेंसी के संचालक 20 से 30 प्रतिशत की कमी दिखा कर जनता को गुमराह करते है. इसके पश्चात बची हुई गैस का एक बहुत मोटा हिस्सा व्यावसायिक उपयोग के लिए निकल जाता है. इन सबके पश्चात् जो गैस बचती है वही जनता तक पहुँच पाती है. ऐसे में होता यह है की एक उपभोगता को एक गैस सिलेंडर मिलने के बाद दोबारा जो सिलेंडर 15 - 20 दिन में मिलना चाहिए वो एक महीना बीतने पर भी नहीं मिलता. फिर भले ही वो एजेंसी में फोन मिलाता रहे या उसके चक्कर काटता रहे. मजबूरन जनता को या तो समय-समय पर नारेबाजी करनी पड़ती है या फिर सडको पर उतरना पड़ता है. अक्सर ऐसा होता है की इसका गुस्सा एजेंसी पर ही उतारा जाता है.
जिला प्रशासन भी रसोई गैस की किल्लत के पीछे बराबर का दोषी होता है. एक तो जहां समय-समय पर एजेंसी का रिकार्ड चैक नहीं किया जाता वहीँ शिकायत मिलने पर तुरंत कार्यवाही नहीं होने से एजेंसी मालिको के हौंसले बुलंद रहते है. एजेंसी में कब कितने सिलेंडर आये और कितने जनता को पर्ची पर बांटे गए इसका कोई रिकार्ड नहीं रखा जाता है. होता यह है की किसी की पर्ची पर किसी को सिलेंडर दे दिया जाता है तो किसी को किसी की पर्ची पर. पूछने पर कहाँ जाता है की सिलेंडर मिल रहा है ना नाम किसी का भी हो. अक्सर एजेंसी की शिकायत रहती है की सर्दियों में कम्पनियाँ कम सप्लाई देती है. हिसार जिले की बात की जाए तो यहाँ दो लाख उपभोगताओ के लिए 21 गैस एजेंसियां है. अगर एक उपभोगता को प्रतिमाह एक सिलेंडर दिया जाएँ तो आंकड़ो के हिसाब से इन्हें प्रतिदिन 300 सिलेंडर की जरुरत है, जबकि कंपनी की तरफ से एजेंसियों को सिर्फ 175 सिलेंडर ही मिल पाते है.
गैस एजेंसी एसोसिएशन के प्रधान सतेन्द्र सिंह का कहना है की कंपनी से आपूर्ति नहीं मिलने के कारण वो समय पर जनता को गैस उपलब्ध नहीं करवा पाते जबकि जनता सारा गुस्सा उन्हीं पर उतारती है. इसके विपरीत एजेंसी संचालको और गैस कंपनियों के अधिकारी एक मत नहीं है. इंडियन आयल कारपोरेशन का कहना है की त्यौहारों के दिनों को छोड़ कर गैस की कमी कम ही रहती है. कारपोरेशन के सेल्स मैनेजर ओमप्रकाश कहते है की एजेंसियों का यह कहना की पिछले काफी समय से गैस की सप्लाई कम हो रही है ऐसा कुछ नहीं है. महीने की जितनी डिमांड आती है उसके अनुसार ही सप्लाई की जा रही है. त्यौहारों में हुई छुट्टियों के कारण एजेंसयों तक गैस नहीं पहुँच पाई थी. इस बीच रसोई गैस एजेंसी एसोसिएशन ने उपायुक्त और पुलिस कप्तान से मिल कर उपभोगताओं द्वारा किये जाने वाले झगड़ो से बचने के लिए उन्हें सुरक्षा देने की मांग की है.
तीन सालो में नहीं खोज पायें एक भी फर्जी उपभोगता
हिसार जिले में 70 हजार फर्जी गैस उपभोगता है. अगर इन पर काबू पा लिया जाए तो गैस की कमी से बचा जा सकता है. यह कहना था 2007 में हिसार में नियुक्त जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक का. जिले के आलाधिकारियो के साथ एक बैठक के दौरान उन्होंने तत्कालीन उपयुक्त को बताया था की जिले में 70 हजार फर्जी गैस कैनेक्शन है. तुरत-फुरत में इसकी जांच भी करवाई गई. जांच में पाया गया की यह आंकड़ा 50 हजार का है. इन फर्जी उपभोगताओ को पकडऩे के लिए 21 कमेटियां बनाई गई जिनमे हर वर्ग के 63 लोग शामिल थे. मजेदार बात तो यह है की आज तीन साल बीत जाने के पश्चात भी जिला प्रशासन एक भी फर्जी उपभोगता नहीं पकड़ पाया. अब सवाल यह उठता है की क्या यह 50 हजार फर्जी कैनेक्शन रातों रात गायब हो गए या आज भी यह किसी की शह पर गैस की मारामारी को बरकऱार रखे हुए है.
काटे कितने पता नहीं लेकिन 800 जब्त जरुर हुए
हिसार स्थित हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के एक जागरूक नागरिक विजय गुप्ता ने जब सुचना के अधिकार के तहत जब खाद्य आपूर्ति विभाग से यह जानकारी मांगी गई की उन 50 हजार फर्जी गैस कैनेक्शन का क्या किया गया तो विभाग का जवाब भी चौकाने वाला था. विभाग ने श्री गुप्ता को बताया की इन 50 हजार फर्जी गैस कैनेक्शन की एवज में कितने काटे गए यह तो पता नहीं लेकिन विभाग ने 800 फर्जी सिलेंडर जरुर जब्त किये है.
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ऐसा नहीं है की यह सिर्फ हम ही कह रहे है. हिसार में पिछले कुछ दिनों में जो कुछ भी हुआ उसको देख कर तो ऐसा ही लगता है. अब देखो ना पिछले एक महीने से गैस नहीं मिलने के कारण हिसार निवासी सुबह से लाइन लगाये खड़े थे. उनको इंतजार करते एक घंटे से भी ऊपर हो चुका था की गैस नहीं मिल रही थी. एजेंसी द्वारा बार-बार यही कहा जा रहा था की अभी ट्रक आने वाला है, सभी को गैस मिल जाएँगी. कहते है की इंतजार का फल मीठा होता है तो लोगो को दूर से ट्रक आता दिखाई दिया. लेकिन यह क्या ट्रक आते ही उसमे से गैस उतार कर कहीं ओर जाने लगी. यह देख लोगो के सब्र का बाँध टूट गया और वहीँ पर नारेबाजी शुरू कर जाम लगा दिया. वही दूसरी तरफ हाल ही में शहर थाना के करीब गाड़ियों के ए.सी. में गैस भरने की एक दुकान में सिलेंडर फटने से आसपास हाहाकार मच गया. दुकान धूं- धूं कर जलने लगी. बड़ी मशक्कत के पश्चात जब आग पर काबू पाया गया तो देखा की दुकान में रसोई गैस के चार सिलेंडर रखे हुए थे जो की आग लगने का कारण बने.
ऐसा नहीं है की सब गलती यही लोग ही करते है. गैस सिलेंडर की कमी के पीछे एजेंसी मालिको का भी पूरा हाथ रहता है. जब कभी पीछे से ही गैस की सप्लाई 10 प्रतिशत कम होती है तो एजेंसी के संचालक 20 से 30 प्रतिशत की कमी दिखा कर जनता को गुमराह करते है. इसके पश्चात बची हुई गैस का एक बहुत मोटा हिस्सा व्यावसायिक उपयोग के लिए निकल जाता है. इन सबके पश्चात् जो गैस बचती है वही जनता तक पहुँच पाती है. ऐसे में होता यह है की एक उपभोगता को एक गैस सिलेंडर मिलने के बाद दोबारा जो सिलेंडर 15 - 20 दिन में मिलना चाहिए वो एक महीना बीतने पर भी नहीं मिलता. फिर भले ही वो एजेंसी में फोन मिलाता रहे या उसके चक्कर काटता रहे. मजबूरन जनता को या तो समय-समय पर नारेबाजी करनी पड़ती है या फिर सडको पर उतरना पड़ता है. अक्सर ऐसा होता है की इसका गुस्सा एजेंसी पर ही उतारा जाता है.
जिला प्रशासन भी रसोई गैस की किल्लत के पीछे बराबर का दोषी होता है. एक तो जहां समय-समय पर एजेंसी का रिकार्ड चैक नहीं किया जाता वहीँ शिकायत मिलने पर तुरंत कार्यवाही नहीं होने से एजेंसी मालिको के हौंसले बुलंद रहते है. एजेंसी में कब कितने सिलेंडर आये और कितने जनता को पर्ची पर बांटे गए इसका कोई रिकार्ड नहीं रखा जाता है. होता यह है की किसी की पर्ची पर किसी को सिलेंडर दे दिया जाता है तो किसी को किसी की पर्ची पर. पूछने पर कहाँ जाता है की सिलेंडर मिल रहा है ना नाम किसी का भी हो. अक्सर एजेंसी की शिकायत रहती है की सर्दियों में कम्पनियाँ कम सप्लाई देती है. हिसार जिले की बात की जाए तो यहाँ दो लाख उपभोगताओ के लिए 21 गैस एजेंसियां है. अगर एक उपभोगता को प्रतिमाह एक सिलेंडर दिया जाएँ तो आंकड़ो के हिसाब से इन्हें प्रतिदिन 300 सिलेंडर की जरुरत है, जबकि कंपनी की तरफ से एजेंसियों को सिर्फ 175 सिलेंडर ही मिल पाते है.
गैस एजेंसी एसोसिएशन के प्रधान सतेन्द्र सिंह का कहना है की कंपनी से आपूर्ति नहीं मिलने के कारण वो समय पर जनता को गैस उपलब्ध नहीं करवा पाते जबकि जनता सारा गुस्सा उन्हीं पर उतारती है. इसके विपरीत एजेंसी संचालको और गैस कंपनियों के अधिकारी एक मत नहीं है. इंडियन आयल कारपोरेशन का कहना है की त्यौहारों के दिनों को छोड़ कर गैस की कमी कम ही रहती है. कारपोरेशन के सेल्स मैनेजर ओमप्रकाश कहते है की एजेंसियों का यह कहना की पिछले काफी समय से गैस की सप्लाई कम हो रही है ऐसा कुछ नहीं है. महीने की जितनी डिमांड आती है उसके अनुसार ही सप्लाई की जा रही है. त्यौहारों में हुई छुट्टियों के कारण एजेंसयों तक गैस नहीं पहुँच पाई थी. इस बीच रसोई गैस एजेंसी एसोसिएशन ने उपायुक्त और पुलिस कप्तान से मिल कर उपभोगताओं द्वारा किये जाने वाले झगड़ो से बचने के लिए उन्हें सुरक्षा देने की मांग की है.
तीन सालो में नहीं खोज पायें एक भी फर्जी उपभोगता
हिसार जिले में 70 हजार फर्जी गैस उपभोगता है. अगर इन पर काबू पा लिया जाए तो गैस की कमी से बचा जा सकता है. यह कहना था 2007 में हिसार में नियुक्त जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक का. जिले के आलाधिकारियो के साथ एक बैठक के दौरान उन्होंने तत्कालीन उपयुक्त को बताया था की जिले में 70 हजार फर्जी गैस कैनेक्शन है. तुरत-फुरत में इसकी जांच भी करवाई गई. जांच में पाया गया की यह आंकड़ा 50 हजार का है. इन फर्जी उपभोगताओ को पकडऩे के लिए 21 कमेटियां बनाई गई जिनमे हर वर्ग के 63 लोग शामिल थे. मजेदार बात तो यह है की आज तीन साल बीत जाने के पश्चात भी जिला प्रशासन एक भी फर्जी उपभोगता नहीं पकड़ पाया. अब सवाल यह उठता है की क्या यह 50 हजार फर्जी कैनेक्शन रातों रात गायब हो गए या आज भी यह किसी की शह पर गैस की मारामारी को बरकऱार रखे हुए है.
काटे कितने पता नहीं लेकिन 800 जब्त जरुर हुए
हिसार स्थित हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के एक जागरूक नागरिक विजय गुप्ता ने जब सुचना के अधिकार के तहत जब खाद्य आपूर्ति विभाग से यह जानकारी मांगी गई की उन 50 हजार फर्जी गैस कैनेक्शन का क्या किया गया तो विभाग का जवाब भी चौकाने वाला था. विभाग ने श्री गुप्ता को बताया की इन 50 हजार फर्जी गैस कैनेक्शन की एवज में कितने काटे गए यह तो पता नहीं लेकिन विभाग ने 800 फर्जी सिलेंडर जरुर जब्त किये है.
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