कहते है की जब-जब पृथ्वी का विनाश हुआ है उसके पीछे किसी ना किसी तांडव की अहम् भूमिका रही है. पिछले लम्बे अरसे से भी देश-विदेश के वैज्ञानिक पृथ्वी के विनाश की बात कर रहे है. जानकारों का मानना है की पृथ्वी पर आज कल जो त्रासदिया हो रही है वो सब पृथ्वी के विनाश के मद्देनजर हो रही है. कभी किसी देश में भूकंप तो कभी सुनामी का खतरा. जबकि दिन-प्रतिदिन पिंघल रहे गलेशियर भी पृथ्वी के विनाश की कहानी लिख रहे है. इन सब से अलग शनिवार को मैंने जो तांडव देखा वो मेरी जिंदगी का पहला तांडव था और में चाहता हूँ की ऐसा तांडव मुझे दोबारा ना ही देखने को मिले तो मेरे और जनता के हित में होगा. यह तांडव उस समय हुआ जब एक बर्फ फैक्ट्री से अमोनिया गैस का अचानक रिसाव होने लगा. अभी लोग कुछ समझ पाते उससे पहले ही मौके पर भगदड़ मच गई.
जब तक लोग कुछ समझते शोर मच गया की चारो स्कूलों से बच्चो को बाहर निकालो. आनन-फानन में मौके पर मौजूद दर्जन भर युवा चारो और फ़ैल गए और स्कूलों से बच्चो को बाहर निकालने लगे. तब तक गैस अपना असर दिखाने लगी थी और बच्चो की आँखों और गले में इसका असर साफ़ देखा जा सकता था. बच्चो को स्कूलों से निकाल कर एक मंदिर में बिठाया गया. घटना से गुस्साई भीड़ ने बर्फ फैक्ट्री में जम कर तोड़ फोड़ की और फैक्ट्री मालिक के साथ-साथ एक स्कूल प्रबंधक कमेटी के सदस्य के साथ भी मारपीट की. मौके की नजाकत को देखते हुए जिला प्रशासन ने भारी पुलिस बल मौके पर तैनात कर दिया. धीरे-धीरे अमोनिया गैस ने पूरे इलाके को अपनी चपेट में ले लिया. एक बारगी तो मुझे लगा की ऐसा तांडव तो होता रहता है लेकिन इन बच्चो का भला क्या कसूर है.
उधर एकाएक मची भगदड़ और सांस लेने में हो रही परेशानी को बच्चे झेल नहीं पाए और खुले मंदिर में जहाँ बच्चो को एकत्रित किया गया था माहौल गमगीन हो गया. बच्चे थे की चुप ही नहीं हो रहे थे. जबकि बाहर का नजारा कुछ ऐसा हाल ब्यान कर रहा था की गैस लीक से गुस्साए आस-पास के क्षेत्रो के लोग किसी भी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकते है. कई बार बात बिगड़ी तो कई बार प्रशासनिक अधिकारियो ने बड़ी सुझबुझ से बात को संभाल लिया. आखिरकार वही हुआ जिसके लिए सभी दुआ कर रहे थे. ना तो कोई वारदात हुई और साथ ही साथ प्रशासन ने जनता की बात मानते हुए बर्फ फैक्ट्री को सील कर दिया. तीनो फैक्ट्री मालिक जिन्हें
पुलिस जनता से बचाने के लिए पहले ही थाने ले गई थी, लिखित शिकायत मिलने पर उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है.
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आँखों देखा तांडव
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तड़का मार के
* महिलायें गायब
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.
* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...
* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.
* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.
* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
तीन दिन तक लगातार हुई रैलियों को तीन-तीन महिला नेत्रियों ने संबोधित किया. वोट की खातिर जहाँ आम जनता से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं छोड़ा वहीँ कमी रही तो महिलाओं से जुड़े मुद्दों की.
* शायद जनता बेवकूफ है
यह विडम्बना ही है की कोई किसी को भ्रष्ट बता रह है तो कोई दूसरे को भ्रष्टाचार का जनक. कोई अपने को पाक-साफ़ बता रहे है तो कोई कांग्रेस शासन को कुशासन ...
* जिंदगी के कुछ अच्छे पल
चुनाव की आड़ में जनता शुकून से सांस ले पा रही है. वो जनता जो बीते कुछ समय में नगर हुई चोरी, हत्याएं, हत्या प्रयास, गोलीबारी और तोड़फोड़ से सहमी हुई थी.
* अन्ना की क्लास में झूठों का जमावाडा
आज कल हर तरफ एक ही शोर सुनाई दे रहा है, हर कोई यही कह रहा है की मैं अन्ना के साथ हूँ या फिर मैं ही अन्ना हूँ. गलत, झूठ बोल रहे है सभी.
* अगड़म-तिगड़म... देख तमाशा...
भारत देश तमाशबीनों का देश है. जनता अन्ना के साथ इसलिए जुड़ी, क्योंकि उसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यह आन्दोलन एक बहुत बड़ा तमाशा नजर आया.
आओ अब थोडा हँस लें
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3 आपकी गुफ्तगू:
आज इंसान .....के रूप में हैवान समां गया है .
आज मानवीय मूल्यों का हृास हो गया है!
यही तो पतन का सबसे बड़ा कारण है!
Yaar itna badha-chda k mat likha kar
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