हम राखी बंधवाते है या मनाते है


आज रक्षा बंधन है। अपने पाठको को इस पवित्र त्यौहार पर ऐसा क्या दूँ पढने को की वो इस त्यौहार की महता को समझ सके। बस यही सोच आज सुबह से ढेरो ब्लॉग और समाचारपत्र छान मारे लेकिन कुछ ऐसा नही मिला की किसी पोस्ट का अनुशरण कर सकूँ। फिर मैं भी समय के अभाव में फिल्ड में निकल पड़ा समाचार एकत्र करने के लिए। बाजारों में कही मिठाई की दुकान पर लम्बी-लम्बी कतारे लगी थी तो किसी राखी की दूकान पर बहने अपने भाई के लिए राखिया खरीद रही थी। दिल को बड़ा शुकून मिला की बहनों को राखी खरीदते हुए कितनी खुशी हो रही है। लेकिन जब वो यह राखी अपने भाई की कलाई पर बांधेगी तो उसके दिल में ना जाने कितनी ही दुआए हिचकोले खा रही होगी। बस यही सोचते-सोचते में पहुँच गया हिसार के केंद्रीय कारागार। जहा महिलाओ की लम्बी लाइन लगी हुई थी। मन में ढेरो विचार लिए हुए मैं भी पहुँच गया कारागार के मुख्य गेट पर। देखा तो समझ में आया की ये सभी जेल में बंद अपने भाई की कलाई को सजाने आई है। यही कारण था की कोई बहन अपने भाई के लिए लड्डू लेकर आई थी तो कोई चूरमा बना कर लाई थी।
ऐसा नही है की मैं यह समझ रहा हूँ की आपको राखी की महता के बारे में कुछ पता नही है। लेकिन मेरा कहने का भावः यह है की कही आप भी मेरी तरह सुबह उठे नहाय-धोये। आज राखी है सोच कर नई-फैन्शी सी ड्रेस पहनी और सजधज कर कमरे से बाहर निकले तभी बहन की आवाज आई भइया क्या बात आज सजधज कर कहा जाने की तैयारी है। सहसा मुहं से निकला बहना तेरे लिए ही तैयार हुआ हूँ। आज राखी है न। लेकिन उस समय हम यह भूल जाते है की हम किसी भी हाल में हो राखी के दिन तो बहन बस उस समय का इन्तजार करती है की हम कब उसके सामने बैठेंगे और कब वो अपने भाई को राखी बंधेगी। लेकिन नही आज हम अपने में ही व्यस्त होकर रह जाते है। सिर्फ़ एक कार्य पूरा करने के हिसाब से राखी बंधवाई और फ़िर अपने काम में लग गए। सभी ऐसा नही करते होंगे लेकिन ऐसा सोचने वालो की भी आज कमी नही है। हम आज के दिन यह भूल जाते है की झूठे मन से भी बहन से यह पूछ ले की बोल बहन तुझे क्या चाहिए। लेकिन नही, क्योंकि समय नही है न हमारे पास।
इसलिए गुफ्तगू करते हुए समाचार के दुसरे पहलु के बारे में मैं तो यही कहना चाहूँगा की चाहे भाई ने कितनी भी बड़ी गलती की हो लेकिन आज के दिन उसके सभी अपराधो को भूल कर जो बहन जेल में राखी बांधने आई है वो भाई भी और वो बहन भी महान है क्योंकि वो किसी भी तरह का दिखावा ना करते हुए सिर्फ़ राखी का त्यौहार मानते है न की राखी बंधवाते है

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1 आपकी गुफ्तगू:

रज़िया "राज़" said...

रक्षाबंधन सिर्फ़ एक रिवाज नहिं ये तो भावनाओं का त्यौहार है। मैं आपकी बात से सहमत हुं कि किसी भी तरह का दिखावा ना करते हुए सिर्फ़ राखी का त्यौहार मानते है न की राखी बंधवाते है।

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