कुछ बातें कभी-कभी बड़ी हैरत में डाल देती है. उन्हें सुन लगता है की आज लोगो की नीति और नियत में कितना फर्क आया गया है.यहीं कारण है की लोग करते कुछ है और चाहते कुछ है. शायद इसीलिए इसे कलयुग कहा जाता है की यहाँ किसी के लिए कोई कुछ नहीं करना चाहता, सबको अपनी पड़ी है. अब देखो न अभी कुछ दिनों पहले मुझे एक बुजुर्ग मिले. बड़े खुश नजर आ रहे थे. बातों ही बातों में उन्होंने जिक्र किया की मेरी बेटी ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में बहुत अच्छे नंबर प्राप्त किये है.सरकार की तरफ से मिले 80000 रूपए के सहयोग से अब वो आईएएस की तैयारी कर रही है. सुन कर अच्छा लगा और मैंने उनको बधाई देते हुए कहा की आज कल तो लडकियां ही पढ़ती है, लड़कों का ध्यान कहाँ रह गया है पढ़ाई की तरफ.
उन्होंने झट से मेरी बात काटी और कहा की ऐसी बात नहीं है. मेरा लड़का भी पढ़ाई में अव्वल आता है. उसने भी अभी टॉप किया है. उसको तो अभी हाल ही में लंदन की एक कंपनी से 20000 डालर की नौकरी का प्रस्ताव भी आया था. लेकिन उसने यह कह कर ठुकरा दिया की अभी वह और पढना चाहता है. आगे बताते हुए उन्होंने कहा की लड़का आईपीएस बन कर देश की सेवा करना चाहता है इसीलिए मैंने भी आगे पढने की हामी भर दी. यही कारण है की आज मेरा बेटा और बेटी रात को चार-चार बजे तक पढ़ते रहते है. राहत की सांस लेते हुए उन्होंने कहा की हमने तो अपनी जिंदगी जी ली लेकिन बच्चे पढ़ लिख कर कुछ बन जायेंगे तो उनकी जिंदगी भी संवर जाएँगी.एक माँ-बाप को इस से ज्यादा क्या चाहिए.
आखिर वो सोते कब है मैंने जिज्ञासा से पूछा. झट से जवाब देते हुए उन्होंने बताया की पता नहीं भाई साहब मई तो रात को चार बजे उठता हूँ तो वो पढ़ते हुए मिलते है और जब शाम को घर आता हूँ तो वो दोनों पढ़ते हुए दीखते है. लेकिन जब मैं पहले उनसे कहता था की बेटा अब थोड़ी देर सो लो तो उनका जवाब मिलता था की पापा अभी पढ़ लें बाद में तो आराम ही करना है. महज दस मिनट की इस वार्तालाप में मुझे जवाब मिल गया था की आखिर बच्चो के दिमाग में क्या चल रहा है. पता लगा की आज नीति और नियत में कितना फर्क आ चुका है. आज कोई देश सेवा के लिए कार्य नहीं करता. अगर आज कोई नेता बनना चाहता है तो पैसा कमाने के लिए और अगर कोई पढ़ लिख कर अधिकारी बन गया तो वो आराम ही करेगा.
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